Wednesday, July 01, 2009

जब आपके बच्चे का हो यौन शोषण - 4

यौन स्पर्श की पहचान


हमें बच्चों को सिखाना चाहिए कि किस तरह के स्पर्शों से उन्हें सावधान रहना है। बहुत छोटे बच्चों को हम बहुत पुचकारते, प्यार करते हैं, जो उन्हें अच्छा भी लगता है। पर हर स्पर्श निरापद नहीं होता है। गलत इरादे से किए गए स्पर्शों को पहचानने की रीति बच्चों को सिखाना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्हें स्पर्श के ये तीन नियम समझाएं।

नियम 1

अगर कोई व्यक्ति उनके निजी अंगों को बुरे इरादे से छुए, तो यह उचित नहीं है।

इस नियम में ऐसे सभी स्पर्श शामिल हैं जिनसे बच्चे को बेचैनी हो।

नियम 2

अगर कोई स्पर्श के नियम 1 को तोड़ने की कोशिश करे तो बच्चे को उसे तुरंत मना कर देना चाहिए और वहां से हट जाना चाहिए।

मना करने के कई तरीके हो सकते हैं, जैसे, यह कहना, “ऐसा नहीं करो, मुझे यह अच्छा नहीं लग रहा”, या, “मैं तुम्हारे इस व्यवहार के बारे में मम्मी-पापा (या किसी अन्य वयस्क) को बता दूंगा/दूंगी”, या, “मैं ऐसा नहीं करना चाहता/चाहती”।

यह जरूरी है कि बच्चों को दृढ़तापूर्वक बड़ों से बात करना सिखाया जाए। यह भी जरूरी है कि उन्हें ऐसी अलग-अलग जगह भागना सिखाया जाए जहां उन्हें मदद और सुरक्षा मिल सकती है। यौन शोषण ज्यादातर एकांत स्थानों में होता है, इसलिए आम भीड़वाले स्थानों में मदद दे सकनेवाले अधिक व्यक्ति हो सकते हैं, भले ही वे अजनबी हों। बच्चों को सिखाना जरूरी है कि अधिकांश लोग अजनबी हैं और अधिकांश लोग अच्छे हैं, इसलिए जरूरत पड़ने पर वे किसी अजनबी से भी सहायता ले सकते हैं।

नियम 3

बच्चों को अनुचित स्पर्श की घटनाओं को कभी भी छिपाना नहीं चाहिए। उन्हें किसी बड़े व्यक्ति को अनुचित स्पर्श की हर घटना के बारे में तुरंत बता देना चाहिए और तब तक बताते रहना चाहिए जब तक कि उन्हें सहायता न मिले।

यह नियम शोषण की घटना की जानकारी दूसरों को देने के लिए बच्चे को प्रेरित करता है। जब तक उसके शोषित होने के बारे में दूसरों को पता न चले, उसे इस शोषण से बचाने के लिए कदम भी नहीं उठाए जा सकेंगे। जैसे ही आपको अपने बच्चे के यौन शोषण की जानकारी मिले, आपको तुरंत ही कार्रवाई करनी चाहिए। अपने बच्चे की सुरक्षा की व्यवस्था तो करनी ही है, साथ में इस अपराध की जानकारी पुलिस आदि को देना भी अत्यंत जरूरी है।

अभी हाल में सूरत शहर में तीन यौन अपराधी पकड़े गए थे। तीनों पुलिस कर्मियों के बेटे थे। वे स्कूल जानेवाली किशोरियों को फांसकर चलती कार में उनके साथ बलात्कार करते थे और इस जघन्य कृत्य का वीडियो उतारकर ग्राहकों को बेचते थे। बताया जाता है कि प्रत्येक वीडियो 10,000 से लेकर 40,000 रुपए में बिकती थी। कई लड़कियों का वे इस तरह शोषण कर चुके थे, पर किसी ने भी पुलिस से शिकायत नहीं की। इसलिए इन अपराधियों का हौसला बढ़ता गया और आठ-दस लड़कियां उनके चंगुल में फंस गईं। उनमें से एक की इनके हाथों मृत्यु भी हो गई। अंत में एक लड़की के अभिभावकों ने पुलिस से शिकायत की और तीनों अपराधी तुरंत पकड़े गए और अब उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई चल रही है। यदि उनके द्वारा शोषित प्रथम लड़की के अभिभावकों ने ही शिकायत कर दी होती, तो ये अपराधी तभी पकड़े गए होते और अन्य लड़कियों को इनके शोषण से गुजरना न पड़ा होता।

इसलिए यौन शोषण की तुरंत जानकारी देना समाज के प्रति हमारा दायित्व है। यौन शोषक केवल आपके बच्चों को ही नहीं परेशान करते, बल्कि उनका स्वभाव ऐसा होता है कि वे अनेक बच्चों पर मेहरबान होते हैं।

(... जारी।)

इस लेख माला के अब तक के लेखों की कड़ियां
1. विषय प्रवेश
2. कौन होता है शोषक?
3. बाल यौन शोषण के संकेत

5 Comments:

virendra sharma said...

In a society where sex is being as a taboo,and often parents evades important questions relating to anxieties of children and prefer to remain in a mode of self denial,such write ups are often needed.It is an era of pedofiliacs and MMS watchers ,child sex and sexual exploitation is a much saught after item.You have elaborated the symptoms of these sex meniacs.congratulations for educating the ignorent masses and educated alike .veerubhai1947.blogspot.com

L.Goswami said...

is baare me likhna chahti hun ..jarur likhungi.

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत सुंदर श्रंखला। यह सही यौन शिक्षा है। इसे स्कूलों में देने में क्या हानि है?

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

"बुरे इरादे से छुए - ऐसे सभी स्पर्श शामिल हैं जिनसे बच्चे को बेचैनी हो।"

अन्ने,कमाल की सरल व्याख्या! अति कठिन साधना कर रहे हैं आप।

Dr.Aditya Kumar said...

sufficient informations.

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