Sunday, July 19, 2009

बोनसाई बनाने की विधि


बोनसाई पर पिछले पोस्ट के पाठकों ने बोनसाई बनाने की विधि के बारे में जानना चाहा है। इसलिए इस पोस्ट में इसके बारे में कुछ सामान्य जानकारी दे रहा हूं।

बोनसाई, अर्थात बौने आकार के वृक्ष, उगाने का शौक आपका और आपके परिवार का कई पीढ़ियों तक मन बहला सकता है, जी हां, कई पीढ़ियों तक, क्योंकि ठीक से देखभाल किए जाने पर बोनसाई आराम से सौ सवा सौ साल तक जीवित रह सकते हैं।

पर बोनसाई का शौक तभी पालें जब आपमें द्रुत परिणाम की आकांक्षा न हो और आपके पास खूब सारा समय हो।

बोनसाई बनाने के दो तरीके हैं, पौधशाला से उपयुक्त वृक्ष-शिशु खरीद लाना, और बीज से ही शुरू करना। इनमें से पहला जल्दी परिणाम देगा, पर यदि आप पौधे के विकास को शुरू से ही नियंत्रित करना चाहें, तो बीज से उगाने का कोई विकल्प नहीं है, पर इसमें बोनसाई बनने में बहुत समय लग सकता है।

पीपल, बरगद, गूलर, अंजीर, नीम, बांस, महुआ, गुलाब, बोगेनविला, देवदार, चीड़, आदि के अच्छे बोनसाई बन सकते हैं।

बोनसाई बनाने से पहले बाग-बगीचों, जंगलों आदि में जाकर इन वृक्षों को देख आएं और अनेक कोणों से उनके फोटो निकाल लें, ताकि आपको अंदाजा हो जाए कि एक पूर्ण विकसित वृक्ष किस आकृति का होता है। इससे आपको बोनसाई को सही रूप देने में मदद मिलेगी। वही बोनसाई सफल माना जाता है जिसकी आकृति मूल वृक्ष जैसी ही हो।

उसके बाद मूल पात्र और मिट्टी में पौधे को रहने देते हुए (यदि आप पौधशाला से लाए गए वृक्ष-शिशु से शुरू कर रहे हों तो) उसकी शाखाओं, टहनियों और पत्तों को बड़ी सावधानी से पौधा काटने की कैंची से इस तरह से काटें कि पौधा विकसित वृक्ष की आकृति का दिखे। काटते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि एक बार काट देने के बाद पौधे के उस अंग को वापस पौधे में जोड़ा नहीं जा सकता है। हर बोनसाई का एक सामने का भाग होता है, जहां से उसे दिखाया जाता है, और जहां से देखने पर वह मूल वृक्ष जैसा लगता है। काटते वक्त इस बात पर विचार कर लें कि बोनसाई का सामनेवाला भाग कौन सा रहेगा। इस ओर से दर्शक की तरफ कोई शाखा निकली हुई नहीं होनी चाहिए, ताकि पूरा बोनसाई दिखे। इस ओर के पीछे की तरफ और दोनों बगलों से शाखाएं सही अनुपात में निकली हुई होनी चाहिए ताकि बोनसाई देखने में असली वृक्ष की आकृति का लगे।

अब पौधे को बड़ी सावधानी से मिट्टी से अलग करें और उसे पानी से भरी बाल्टी में रखकर जड़ों से लगी मिट्टी हटाएं और कैंची से जड़ों को उनकी मूल लंबाई के लगभग दो तिहाई तक कतर दें, या उतना कतर दें जितने से पौधे को बोनसाई रखने के गमले में रखा जा सके। तने के ठीक नीचे आपको जड़ों का एक गुच्छा मिलेगा। जड़ों को लगभग इस गुच्छे तक कतर देना चाहिए। लेकिन काटते वक्त गमले के व्यास का भी ध्यान रखें। गमले में पौधे को रखते समय गमले के किनारे से लगभग एक दो इंच की मिट्टी जड़ों से मुक्त होनी चाहिए।

बोनसई के लिए गमला सावधानी से चुनें। वह मजबूत और सुंदर होना चाहिए और बहुत गहरा नहीं होना चाहिए। उसके पेंदे में अनेक छोटे छेद होने चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी उनसे बह निकल सके और जड़ों को हवा मिल सके। इन छेदों के ऊपर महीन नेटिंग (चाय की छानी जितनी महीन) लगाएं ताकि मिट्टी अतिरिक्त पानी के साथ बह न जाए और चींटियां आदि गमले के अंदर घुस न सकें। अब इस जाली के ऊपर मिट्टी फैलाएं। मिट्टी पौष्टिक एवं मजबूत होनी चाहिए ताकि बोनसाई उसमें आसानी से जम सके। मिट्टी की परत जब दो-तीन इंच मोटी हो जाए, तो ऊपर बताई गई विधि से तैयार किए गए पौधे को उसमें रखें और जड़ों के चारों ओर मिट्टी फैलाकर धीमे से दबा दें। अब मिट्टी के ऊपर बजरी और कंकरी फैलाएं ताकि सब कुछ साफ-सुथरा लगे।

बोनसाई के संबंध में एक गलत धारणा यह है कि उसे कम भोजन देना चाहिए ताकि उसका विकास अवरुद्ध रहे। दरअसल बोनसाई को खूब पोष्टिक भोजन बारबार देते रहना चाहिए, और पौधे के आकार को काट-छांट करके छोटा रखना चाहिए।


कुछ दिनों में जब पौधा गमले में जम जाए, उसकी टहनियों पर धातु के तार लपेटकर उसे मूल वृक्ष के जैसी आकृति दें। कुछ लोग टहनियों को नीचे की ओर झुकाने के लिए उनके साथ वजन भी बांधते हैं।

बोनसाई को खाद युक्त पानी बारबार देते रहना चाहिए। उसे ऐसी जगह रखें जहां उसे पर्याप्त धूप मिले।

कुछ साल बाद आपको गमले की मिट्टी बदलनी चाहिए क्योंकि उसमें पौष्टिकता कम हो गई होगी। इस अवसर का लाभ उठाकर आपको जड़ों के अनावश्यक फैलाव को भी कतरकर कम कर देना चाहिए।

जैसे-जैसे बोनसाई में आपकी रुचि बढ़ती जाएगी आप इस शौक के अन्य दीवानों के साथ भी मिलना-जुलना चाहेंगे और अपने बोनसाई को उन्हें दिखाकर वाहवाही लूटना चाहेंगे। इसलिए आपको इंडियन बोनसाई एसोसिएशन, दिल्ली का समदस्य बन जाना चाहिए। यहां से आपको बोनसाई के संबंध में उपयोगी जानकारी और सलाह भी मिल सकती है।

47 Comments:

RC Mishra said...

अच्छी जानकारी है, कई जगह आपने आकृति (Shape)के स्थान पर आकार (Size) शब्द का प्रयोग किया है, कृपया उसे सही कर लें।

बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण said...

मिश्रा जी, इस गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। उसे अब सुधार दिया है।

समयचक्र said...

अच्छी जानकारी है

ताऊ रामपुरिया said...

आज आपने बहुत उम्दा जानकारी दी है. अब हम भी शुरु हो जाते हैं.

रामराम.

P.N. Subramanian said...

हमने बहुत कुछ सीखा. आभार.

दिनेशराय द्विवेदी said...

अच्छी जानकारी! हम फिर से कोशिश करते हैं।

mehek said...

bahut hi achhi jankari

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

सुब्रमणियम जी, जानकारी तो बहुत अच्छी प्रदान की आपने।किन्तु मन में एक शंका है कि कहीं बौनसाई बनाने के चक्कर में हम लोग वृ्क्ष के विकास को बाधित करके कुछ गलत तो नहीं करते। मेरे विचार से तो यह वृ्क्ष और प्रकृ्ति दोनो के साथ ही अन्याय होगा। क्यों कि प्रकृ्ति ने तो सबको फलने फूलने एवं विकास का एक समान अधिकार दिया है। इस विषय में आपके क्या विचार हैं?

shubhakar dubey said...

very very good information.

Anonymous said...

Sir, aap ne bahut achi jankari di hai, par bonsai banane ke liya, kya samagri, kaisi mitti adi lena chahiye aap ne nahi bataya hai

suresh bhatia said...

thanx...kafi achhi jankari di h..

JIGNESH CHAUDHARI said...

Jankari achhi hai, mai bhi apne andajme bonsai lagata hu,krupya ye batayen ki Gujratme mai kahase bonsaitool kit praptkar sakta hu?.

Anonymous said...

BADIYA JAANKARI HAI,

BONSAI MAIN PAPITA KAISE LAGAYA JAI
ANYA FALDAAR TREE BONSAI MAIN LAGANE SE KYA FAL BHI MIL SAKTE HAI?

amar said...

Bonsai k liye ache gamle kha se le...

amar said...

Bonsai k liye ache gamle kha se le...

Unknown said...

It's wonderful, I love planting in my balcony & trying for bonsai.ur information is helpful thanks a ton.

Unknown said...

It's wonderful, I love planting in my balcony & trying for bonsai.ur information is helpful thanks a ton.

Anonymous said...

बोनसाई का साईज कितना होता हैँ?

Anonymous said...

Kya samanya podhe se b bonsai bn sakta he ya iske lie koi alg podha Lana padega

SAMYA said...

कोशिश करेंगे

SAMYA said...

कोशिश करेंगे

Unknown said...

Thanks

Anonymous said...

Very useful information.... thanks to the writer.....
Sonal chadha

सुधीर चन्द्र जोशी 'पथिक' said...
This comment has been removed by the author.
सुधीर चन्द्र जोशी 'पथिक' said...

बहुत सुन्दर जानकारी दी आपने बोंजायी के बारे में। मैं । एक जानकारी और देने का कष्ट करें। मैंने एक चपटे गमले में पीपल का पौंधा लगाया। उसकी बढ़ती हुई नर्म डालों को मैंने इसी में लपेटना शुरू किया।आज इसकी आयु छः वर्ष है और इसकी ऊंचाई दो फीट है। इसकी डालों और जड़ों की छंटाई मैंने कभी इस पेड़ की पत्तियां बड़े पेड़ जैसी बड़ी बड़ी हैं। क्या यह बोंजायी कहलायेगा अथवा नहीं।। बोंजायी के पत्ते छोटे होना भी क्या बोंजायी होने की एक शर्त है ?

सुधीर चन्द्र जोशी 'पथिक' said...

एक पंक्ति अधूरी रह गयी, पूर्ण निम्नवत पढ़ने का कष्ट करें -
इसकी जड़ों और डालों की छंटाई मैंने कभी नहीं की।

Naveen4all said...

मेने भी गूलर जामुन अनार अमरूद की बोनसाई वृक्ष बनाये है लेकिन धैर्य रखना पड़ता है मेरे पेड़ अब 5 साल से ऊपर हो गए है और अनार अमरूद पर फल आने लगे है।

Naveen4all said...

बोनसाई के लिए बड़े वृक्षों का चुनाव किया जाता है । जो अपने क्षेत्र में जीवित रह सके ।
धैर्य रखकर अगर वृक्ष की रखरखाव देखभाल की जाए तो फल भी मिलते है।

Naveen4all said...

शर्माजी ऐसा कुछ नही है बल्कि बड़े वृक्ष की अपेक्षा बोन्साई की ज्यादा सेवा होती है ।
ओर आप किसी वृक्ष की जान नही लेते है बल्कि आप सिर्फ उस वृक्ष का आकार आदि अपनी कल्पना अनुसार परिवर्तित कर देते है चलता वो प्रकृतिनुसार ही है।

deepak said...

मेरे पास बीज है मुझे कोई btayega इसे कब और कैसे लगाना है plz send me mail or on my WhatsApp no 9828198117

Unknown said...

bahut achi jaankari dene ke liye dhanaywad, Kripya ek parshan ka uttar dein.

1. Upar bataye nirdeshon ka sahi palan karu to kitne dino ki, katai chatai ke baad podha bonsai ka shape lena shuru kar deta hai.

dhanyawad sahit
Munish Chandigarh

Unknown said...

Are sir kitna hight hai anar or amrud bonsai Ki

Unknown said...

क्या बोन्सयि वृक्ष की मुख्य जड़ काटी जा सकती है।इससे उसे कोई नुक्सान् तो नहीं होगा।और उसकी सारि मिटटी हटा के कातना चाहिये

Unknown said...

अगर कोई आपका ग्रुप हो तो मुझे भी जोड़े महान कृपा होगी मैँ अभी नया हु 7524001011

Unknown said...

devdar cold climate m hote h kya hum devdar bonsai roop me maidani climate me lag sakta h, kon si mitti sahi rahegi kripya bataye for devdar and gulmohar thanks

Nirmal Bindlish Agrawal said...

दशहरी आम का बोनसाई कैसे बनाएं
कृपया जानकारी दें
8700756345

Unknown said...

Very useful information 4 all

Unknown said...

Aap ke dwara di gai jankari acchi hai hame beej se bonsai podha banane ki vidhi bhi bataye

Best collection news said...

https://mp4moviezworld99.blogspot.com/2019/09/tourism-place-in-bhubenswar.html?m=1" बोनसाई trees को उगाने की प्राचीन कला 1000 year पुरानी है। बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि एक साधारण पॉटेड plnt का शाब्दिक अर्थ है

बोनसाई, "पॉट्ड प्लांट।" हालांकि, पौधों, झाड़ियों और यहां तक ​​कि पेड़ों का एक बड़ा पूल है, जिन्हें बोनसाई के रूप में प्रशिक्षित और रखा जा सकता है। हालांकि आमतौर पर जापान के साथ जुड़ा हुआ है, बोनसाई पेड़ की खेती वास्तव में चीन में हुई थी, जहां पेड़ अंततः ज़ेन बौद्ध धर्म से जुड़े हुए थे। बोनसाई पेड़ों का उपयोग अब उनके पारंपरिक उपयोगों के अलावा सजावटी और मनोरंजक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। बोन्साई पेड़ों की देखभाल करने से किसान को प्राकृतिक सौंदर्य के प्रतीक के विकास में एक चिंतनशील लेकिन रचनात्मक भूमिका निभाने का मौका मिलता है।

Anonymous said...

Hallo sir.
For the plantation of bonsai normal seeds used or anyother?

Anonymous said...

Mere pas bonsai ka beej hai ise kab or kese ugaye .Kitne temprature m hote hai

Unknown said...

05-15 cm .

Unknown said...

कुछ लोग बोनसाई पौधे को वास्तु के अनुसार नकारात्मक मानते हैं..... इस पर आप सभी विद्वज्जनो का क्या मत है?? मैंने आपके द्वारा दिए गए बोनसाई एसोसिएशन को चेक किया पर जुड़ नहीं पाया...?

shishpal said...

आप से बात कैसे हो सकती है
काफी जानकारी चईये 9599034700 व्हाटसप करें सर्

Unknown said...

BonSai
Paudhe ko jaldi bada kaise karen

Unknown said...

Sir apne contact number dijiye

Unknown said...

Bahut hi achchi jankari mili. But mitti ki jankari bhi mil jati, jaise ki mitti ki quality, khad aur proportion etc.to hame poori jankari ho pati.

हिन्दी ब्लॉग टिप्सः तीन कॉलम वाली टेम्पलेट