इन पंक्तियों को लिखते समय बाहर जोरों के झपाटे पड़ रहे हैं, मेघ गर्जन हो रहा है और बिजली चमक रही है। ट्यूब लाइट भी टिमटिमा रहा है, बिजली गुल होने की चेतावनी देते हुए। कोई चिंता नहीं, इनवर्टर है, बीस मिनट तक कंप्यूटर को खींच लेगा, तब तक तो यह पोस्ट पूरा हो जाएगा।
लिख रहा हूं तो खिड़की से ठंडी बयार पर सवार महीन फुहार पीठ पर लग रही है और मिट्टी पर प्रथम बारिश की बूंदों की सोंधी महक नथुनों को छेड़ रही है। बहुत अच्छा लग रहा है।
दो महीने से 42 डिग्री पर पक रहे थे। उमस इतनी कि शरीर पर वस्त्र भी कटार सा घाव कर रहे थे। कोई राहत नहीं थी।
हम यही सोच रहे थे कि क्या इस बार मेघ राजा ने अहमदाबाद को भुला ही दिया है? सूरत तक आकर लौट गए।
पर उनके दरबार में देर सही अंधेर नहीं है। आज 9 जुलाई की रात पौने बारह बजे मौसम की पहली तेज बारिश शुरु हुई है अहमदाबाद में, और जोरों से हो रही है।
अब ज्यादा लिखना संभवन नहीं है, यह बारिश देखने का समय है, कंप्यूटर पर झुके रहने का नहीं, यह चेहरे पर ठंडी-ठंडी बूंदों के आघात का मजा लेने का समय है। तो अलविदा, कल बताऊंगा यह बारिश कब तक रही।
Thursday, July 09, 2009
आखिर आ पहुंची मेघ राजा की सवारी अहमदाबाद
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8 Comments:
बधाई!!
Is tarah baarish ka ahsas, computer par kaam karte hue... Dilchasp hai.
बहुत बधाई जी आपको. और हम भी ईंतजार कर रहे हैं बधाई लिने का.
रामराम.
बहुत बहुत बधाई हो।
हमारे यहां मुंबई में तो हम रोज ही मजा ले रहे हैं बारिश का परंतु जैसी बारिश होना चाहिये वैसी नहीं है, आपको बधाई बारिश आने की।
zyada mat bheegna.....
bheego toh akele mat bhigna
kisi k saath bheego toh rapatna nahin ...rapto toh fisalnaa nahin aur agar fislo toh ye gana zaroor chaladena_____AAJ RAPAT JAAYEN TOH HAMEN NA UTHAYIYO.........
बिजली गई नहीं यह अच्छा रहा. खूब बरसा पानी. आज भी बादल छाए हैं. आगे का हाल आप ही सुनाएं.
पानी हमारे यहाँ भी बरसा, हम भी नहाये झूम कर...
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