अभी ब्लोगजगत में अनामी की धूम मची हुई है। अच्छे-अच्छे धुरंधर महारथी ब्लोगर अनामी का नाम सुनते ही थर-थर कांप उठते हैं और मोडरेशन के बिल में जा दुबकते हैं।
पर इससे आखिर ब्लोगरी का ही नुकसान हो रहा है। जब पोस्ट पर माडरेशन लगा दिया जाता है, तो टिप्पणियां तुरंत नजर नहीं आतीं, जब ब्लोग स्वामी को फुरसत होती है, तब कहीं जाकर प्रकट होती हैं। अभी हिंदी में फुलटाइम ब्लोगिंग की विलासिता बहुत कम लोगों के बस की बात है। अधिकांश ब्लोगर सुबह पोस्ट करते हैं आफिस जाने से पहले, या आफिस पहुंचकर दफ्तरी कामकाज में उलझने से पहले। और दिन में एक दो बार अपना ब्लोग देख लेते हैं, या शाम को घर आकर। इस तरह टिप्पणियां पोस्ट होने और ब्लोग स्वामी द्वारा उनके अनुमोदित किए जाने में काफी समय बीत जाता है।
इसका नुकसान यह हो रहा है कि टिप्पणियों की विविधता ही नष्ट हो रही है। टिप्पणीकर यह नहीं जान पाते कि पहले के टिप्पणीकारों ने क्या लिखा है, इसलिए कई बार एक ही बात बिना पूर्वापर संबंध स्थापित किए कई टिप्पणियों में दुहराई जा रही है। इससे विचार विमर्श में बाधा पड़ रही है।
दूसरा नुकसान यह हो रहा है कि टिप्पणियों में दी गई नई जानकारी, नए दृष्टिकोण, आदि को ध्यान में रखते हुए टिप्पणियां लिखना संभव नहीं हो पा रहा है। इससे टिप्पणियों का गुणस्तर गिरने लगा है।
ब्लोगरों को भूलना नहीं चाहिए कि प्रत्येक पोस्ट के दो अन्योन्याश्रित भाग होते हैं, एक, स्वयं पोस्ट, और दूसरा, उस पर आई टिप्पणियां। पाठक पर इन दोनों का समग्र प्रभाव पड़ता है। यदि टिप्पणियां बेदम हों, तो पोस्ट भी नीरस और फीका हो जाता है। कई बार टिप्पणियां मूल पोस्ट से ज्यादा रोचक और ज्ञानवर्धक होती हैं।
वैसे बेनामी से डरना क्या। यदि वह कोई अटपटी टिप्पणी लगा भी दे, तो उस टिप्पणी को दो सेकंड में हटाया भी तो जा सकता है? माडरेशन लगाना मुझे अति-प्रतिक्रिया मालूम पड़ती है। जिन ब्लोगरों ने उसका सहारा लिया है, उनसे मेरा अनुरोध है कि वे पुनर्विचार करें।
Wednesday, July 08, 2009
अनामी से डरना क्या
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: विविध
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15 Comments:
बिलकुल सत्य वचन महाराज, हमने तो बेनामी जी के लिये दरवाजा ही बन्द रखा है, जिसे आना हो, टिपियाना हो, गरियाना हो… नाम बताकर करे… सभी प्रकार की टिप्पणियाँ ली जायेंगी…
जो लिखने बैठा है वह किसी से भी नहीं डरता। लेकिन प्रत्येक ब्लागर एक प्रकाशक भी है। जब टिप्पणी प्रकाशित होती है तो एक प्रकाशक की हैसियत से वह भी टिप्पणी के लिए उतना ही जिम्मेदार है जितना कि टिप्पणीकार। यदि कोई टिप्पणी ब्लागर के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के लिए या समूह के लिए अपमान जनक हो या किसी अपराध का कारण बनती हो तो उस की जिम्मेदारी टिप्पणीकार के साथ प्रकाशक अर्थात ब्लागस्वामी की भी है। इस कारण से मोडरेशन लगाना अनुचित नहीं है। टिप्पणियों को कम से कम दिन में तीन-चार बार तो मोडरेट किया ही जा सकता है। यदि फिर भी कोई कमी रह जाए तो टिप्पणियों का उल्लेख कर नया आलेख लिखा जा सकता है। मेरी समझ में टिप्पणी मोडरेशन तो रखना ही चाहिए जिस से अवांछित टिप्पणियों की जिम्मेदारी से बचा जा सके।
एक सारगर्भित पोस्ट
सत्य वचन महाराज मैंने भी आज से इनके लिए दरबाजे बंद कर दिए है .
वैसे लीगल टर्म्स में देखा जाए तो, जैसा की द्विवेदी जी बता रहे हैं, मोडरेशन गलत भी नहीं है.
दिनेशराय जी से पूर्णत: सहमत. यदि कोई आपके ब्लॉग पर टिप्पणी स्वरूप किसी वायरस फ़ाइल की लिंक लगा दे, कोई बॉट वायग्रा या पॉर्न साइट की कड़ी डाल दे, किसी को बेभाव गाली दे दे और यदि आप किसी काम से घंटा दो घंटा ही सही व्यस्त हैं, तो इतनी देर में तो नुकसान हो ही चुका होगा.
मेरे विचार में मॉडरेशन हर ब्लॉग और हर ब्लॉगर के लिए नितांत आवश्यक है. एक न एक दिन आपको भी ऊपर लिखी समस्याओं से सामना करना पड़ेगा, तब शायद आपको इसकी महत्ता समझ में आएगी :)
ravi ratlami thik kahte hain !
भाई अभी आपका सामना शायद इन कुंठित और लुंठित लोगों से नही हुआ है. और एक नया फ़ैशन देखने मे आया है कि लोग बेनामी ब्लाग बनाकर उस पर अपनी कुंठा निकालते हैं. गरियाते हैं. क्या द्विवेदीजी या रवि रतलामीजी इसका कोई समाधान बतायेंगे? आगे पीछे यह सभी को दुखदायी होने वाला है.
रामराम.
मैं आप से सहमत हूँ ,अपने जो बात कही उन लोगों कोध्याँ न में रख कर कही लगती जो ब्लॉग और टिप्पणी के माध्यम से ब्लोगिंग को एक सामाजिक परिचर्चा का मंच बनाना चाहते हैं उन्हें वर्ड माडरेशन अजीब लगता उन्हें पता नहीं चलता की अभी तक क्या अंतिम रूप से क्या कहा जाचुका है किस सम्बन्ध में क्या कहें |
जब कि जिन्हें अच्छा है ,सार गर्भित है स्वागत है बधाई मात्र कहना है और आगे बढ़ जाना है उन्हें वर्ड माडरेशन से कोइ फर्क नहीं पड़ता , वे फिर लौट के उस पोस्ट पर नहीं आते जब कि परिचर्चा ब्लोगर कई बारऔर बार बार उस पोस्ट पर आता है देखने कि उसके कहे कि क्या प्रतिक्रिया रही |
दिक्कत तब ज्यादा है जब आते हमारी पोस्ट पर हैं और गरियाते दूसरे को हैं..क्या हम आप प्रचार का माध्यम बनना चाहेंगे ऐसे मौकों पर बेवजह.
मुझे मॉडरेशन में कुछ भी गलत नहीं दिखता. हाँ, अधिक समय टिप्पणी इस वजह न रुकी रहे, इसका जरुर ध्यान देता हूँ.
आपका आलेख और चिन्तन जरुरी है. इस विमर्श का आभार.
मोडरेशन इसका हल नही, हमे टेक्निकल फिट होना पडेगा।
सटीक बात कही आपने!!
आभार/मगलभावानाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
सच ही तो कहा है आपने....
बेनामी और अनामिका
एक ही परिवार के हैं
सुना है इनके विचार
उपजाऊ नहीं हैं
इसलिए इनकी आबादी
नहीं बढ़ने वाली
इनके साथ कोई
अच्छी सच्ची घटना
नहीं जुड़ने वाली
इनसे लोग इसलिए
डरते हैं क्योंकि
कीचड़ में पत्थर डालो
तो छींटे मुंह पर पड़ते हैं
क्या इन छींटों से बचने के लिए
फुल कवर हेलमेट पहनना पड़ेगा।
सारगर्भित पोस्ट
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