संचार माध्यमों और प्रौद्योगिकियों में विस्फोटक वृद्धि के इस युग में भी अपने जाने-चाहे लोगों तक संदेश पहुंचाने का सबसे सस्ता तरीका पोस्टकार्ड ही है।
पोस्टकार्ड का आविष्कार आस्ट्रिया में 1869 को हुआ था। वह इतना लोकप्रिय साबित हुआ कि एक महीने में ही 15 लाख पोस्टकार्ड बिक गए। अन्य देशों ने भी उसे अपनाने में देरी नहीं की। ब्रिटेन ने 1872 में पोस्टकार्ड जारी किया। सात ही वर्षों में, यानी 1879 को, भारत में पोस्टकार्ड जारी कर दिया गया। यहां पहले पोस्टकार्ड की कीमत तीन पैसे थी। प्रथम नौ महीने में ही भारत में 7.5 लाख रुपए के पोस्टकार्ड बिक गए।
चित्रित पोस्टकार्ड (पिक्चर पोस्टकार्ड) 1889 में प्रचलन में आए। यही वह साल था जब पेरिस में ईफिल टावर का उद्घाटन हुआ था। इस अवसर पर फ्रांसीसी सरकार ने खास तरह के पोस्टकार्ड जारी किए जिनके एक ओर ईफिल टावर का चित्र अंकित था। ईफिल टावर देखने आए सैलानी इन पोस्टकार्डों को ईफिल टावर के उच्चतम मंजिल में बनाए गए एक डाकघर में अपने मित्रों और परिचितों को पोस्ट कर सकते थे। इसके बाद दुनिया भर के अनेक देशों ने भी चित्रित पोस्टकार्ड जारी किए।
पहले पोस्टकार्ड के केवल एक ओर संदेश लिखने की अनुमति थी। दूसरी ओर केवल पता लिखा जा सकता था। सन 1902 में ब्रिटेन ने सर्वप्रथम इस असुविधाजनक नियम को खत्म किया।
महात्मा गांधी पोस्टकार्ड के अच्छे खासे प्रशंसक एवं उपयोगकर्ता थे। उन्होंने अपने सैंकड़ों पत्र पोस्टकार्डों पर लिखे। पोस्टकार्ड के इस विश्व-विख्यात उपयोगकर्ता को सम्मानित करने के लिए डाक विभाग ने 1951 और 1969 में विशेष गांधी पोस्टकार्ड जारी किए।
यद्यपि पोस्टकार्ड संदेश भेजने का सबसे सस्ता माध्यम है, लेकिन सरकार के लिए वह एक महंगा सौदा है। प्रत्येक पोस्टकार्ड पर, जो आज 25 पैसे को बिकता है, सरकार को 55 पैसे की लागत आती है। इस घाटे की पूर्ति के लिए सरकार ने पोस्टकार्ड के अनेक रोचक उपयोग खोज निकाले हैं। 21 जुलाई 1975 में जारी किए गए पोस्टकार्डों में सरकार ने एक संदेश अपनी ओर से हिंदी में छापा। वह इस प्रकार था, "अपनी फसल को चूहों और कीड़ों से बचाएं"। इसके बाद अनके प्रकार के सरकारी संदेश अनेक भाषाओं में पोस्टकार्डों पर छापे गए।
डाक टिकटों के समान लोग पोस्टकार्डों का भी संग्रह करते हैं। इस हॉबी को अंग्रेजी में डेल्टियोलजी कहा जाता है। इसमें काफी पैसा भी कमाया जाता है। सन 1984 में अमरीका के इलिनोस शहर की सूसन ब्राउन निकोलस नामक महिला ने एक दुर्लभ पोस्टकार्ड बेचा। दुनिया में इस प्रकार के केवल पांच पोस्टकार्ड अस्तित्व में थे। सूसन को उस पोस्टकार्ड के बदले 1.75 लाख रुपए मिले।
Wednesday, July 29, 2009
कहानी पोस्टकार्ड की
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
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6 Comments:
सुन्दर जानकारी. बचपन में हम भी इनका संग्रह किया करते थे.
बहुत ही रोचक जानकारी। आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
नोस्ताल्जियाटिक पोस्ट!
आप का यह ब्लॉग सन्दर्भ ग्रंथ की तरह उपयोगी होने की राह पर अग्रसर है। बधाई।
post card ke bare main jo apne mhatwapurn jankare dee iske liye bahu-2 dhanyabad.... jai hind
25 paise wala post card kb jari kiya gya tha?
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