अभी कुछ दिन पहले महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनावली पढ़ रहा था। हिंदी का प्रारंभिक इतिहास आंखों के सामने किसी चलचित्र के समान गुजरता गया। इस रचनावली में महावीर प्रसाद की कई महत्वपूर्ण रचनाएं सम्मिलित हैं, जैसे उनका अर्थशास्त्रीय ग्रंथ "संपत्तिशास्त्र" जो संभवतः हिंदी का प्रथम अर्थशास्त्रीय ग्रंथ है। इस पुस्तक में द्विवेदी जी ने दिखाया है कि किस तरह अंग्रेजी राज भारत को खोखला कर रहा था।
रचनावली में द्विवेदी द्वारा संपादित प्रसिद्ध और ऐतिहासिक पत्रिका "सरस्वती" के लिए उनके द्वारा लिखे गए संपादकीय लेख और अन्य टिप्पणियां भी संकलित की गई हैं। इन टिप्पणियों में ज्ञान-विज्ञान और मनोरंजन की बहुत सारी बातें विद्यमान हैं। बानगी के तौर पर यहां एक छोटी टिप्पणी दे रहा हूं, जिसका संबंध अकबर की मृत्यु से है।
अकबर की मृत्यु के संबंध में एक जनशृति प्रचलित है। अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में वह अपने उपद्रवकारी उमरावों को विष की गोलियां दे देकर मारने लगा था। एक ही तरह की गोलियां उसके पास खाने की चीज के बहाने आती थीं। पर कुछ में विष रहता था, कुछ में नहीं। इस भेद को अकबर जानता था, और लोग नहीं। जिसे मारना होता था, उसे वह विष वाली गोली अपने हाथ से देता था और वैसी ही निर्विष गोली वह खुद उसके सामने खाता था। एक बार उसने सिंध में थत्ता नामक रियासत के गवर्नर गाजीखां को इस तरकीब से मारना चाहा। पर गलती से गोलियां बदल गईं और विषाक्त गोली खाकर अकबर ने अपने ही हाथ से अपनी हत्या कर ली। कई अंगरेज ग्रंथकारों ने यह बात लिखी है। टाड साहब ने बूंदी के इतिहास में मानसिंह के संबंध में ऐसी ही घटना का उल्लेख किया है।
15 Comments:
विचित्र है यह । नहीं जानता था ।
यह तथ्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनावली में है - जानकर अच्छा लगा ।
सच, मुझे भी मालूम नहीं थी यह बात ! मैं तो अकबर को एक वीर योद्धा समझता था, वह तो कायर निकला !
अच्छा?! विश्व हिदू परिषद वाले घास खोदते रहे!
रोचक तो है मगर सच्ची नहीं लगती। एक महान शासक की ऐसी मौत.... खैर क्या कहें।
कृपया अकबर को 'महान' न कहें।
बात कुछ जम नहीं रही है।
अब ये तो किसी सर्टिफ़ाईड इतिहासकार से जाँच करवाना पड़ेगी।
...और हमारे इतिहासकार बताते हैं..अकबर द ग्रेट:)
विचित्र किन्तु... क्या सत्य है? .
यह तो नई जानकारी मिली है कृपया उपलब्ध है तो विस्तार से लिखे |
नयी है जानकारी ..धन्यवाद..!!
बिल्कूल झुट है । अकबर उस समय का सबसे शक्तीशाली राजा था और उसे कीसी को मारने के लिए इन गौलीयों की जरूरत नही थी ।वो सीधे कीसी पर भी आक्रमण कर सकता था । मारने के लिए तो उसके नाम का खौफ ही काफी था ।
बिल्कूल झुट है । अकबर उस समय का सबसे शक्तीशाली राजा था और उसे कीसी को मारने के लिए इन गौलीयों की जरूरत नही थी ।वो सीधे कीसी पर भी आक्रमण कर सकता था । मारने के लिए तो उसके नाम का खौफ ही काफी था ।
गलत जानकारी है अकबर की मृत्य कोई विषाक्त गोली खाने की वजह से नहीं हुयी उसकी मृत्यु जहांगीर के विद्रोह करने की वजह से उसे गहरा आघात पहुचा जिसके बाद उसकी तबियत लगातार दिनप्रतिदिन गिरती गयी और अंत में उसकी मृत्यु हुयी मृत्यु का कारण बिमारी ही है पर बीमारी का कारण पुत्र का विद्रोह था ।
Akbar ek maha maha maha mahan se b mahan tha
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