कल मैं अपनी दोनों बेटियों के साथ हैरी पोटर एंड द हाफ ब्लड प्रिंस देख आया। मेरी पत्नी आने को राजी नहीं हुईं, उन्हें हैरी पोटर में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके लिए हम उन्हें मगल कहकर चिढ़ाते हैं। (मगल क्या है यह वे ही जानेंगे, जो हैरी पोटर और उसकी दुनिया के बारे में कुछ जानते हों)।
मैं और मेरी बड़ी बेटी हैरी पोटर के बड़े फैन हैं, और हमने इस शृंखला की हर किताब खरीदकर पढ़ी है। हमारा नियम रहा है पुस्तक रिलीज़ होने के प्रथम दिन ही उसे खरीदकर पढ़ना। घर में बेटी और मुझमें इस बात को लेकर रौर मचता है कि कौन उसे पहले पढ़ेगा। अंत में हम दोनों में समझौता हो जाता है कि जब बेटी स्कूल में हो, मैं पढ़ूंगा और उसके स्कूल से लौट आने पर मुझे किताब उसके हवाले कर देना होगा। मुझे याद है, कभी-कभी इस किताब को पूरा करने के लिए मैंने आफिस से छुट्टी रखी है और रात भर जागकर अगली सुबह तक उसे पढ़कर पूरा किया है। यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है, क्योंकि इस शृंखला की बाद की किताबें 1000 पृष्ठ जितनी बड़ी हैं।
इसी तरह हैरी पोटर फिल्मों के रिलीज़ होने के पहले दिन ही उन्हें देख लेना हमारे लिए अनिवार्य है, नहीं तो ऐसा लगता है कि कुछ बहुत गलत हो गया। इसलिए हमारे लिए यह लाजिमी था कि अहमदाबाद में शुक्रवार को लंबी प्रतीक्षा के बाद जब हैरी पोटर एंड द हाफ ब्लड प्रिंस (जो इस शृंखला की छठी फ्लिम है) रिलीज़ हुई तो उसे तुरंत देख लिया जाए। टिकट आदि मिलने में कोई दिक्कत नहीं आई क्योंकि अहमदाबद मॉलों की राजधानी है और लगभग हर गली-मोहल्ले में एक मॉल है। हम एड लैब्स के थिएटर में गए, जो घर के निकट ही है। फिल्म अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही रिलीज़ हुई है, पर हमने अंग्रेजी में ही उसे देखा।
यह फिल्म भी अन्य हैरी पोटर फिल्मों की ही तरह भव्य थी। शुरू से ही एक्शन का धमाका शुरू हो जाता है। डेथ ईटर जिस तरह थेम्स नदी पर बने पुल को तोड़ते हैं, उसका फिल्मांकन लाजवाब है। फिल्म बड़ी तेजी से आगे बढ़ती है। कई अंशों में वह पुस्तक से भिन्न मार्ग अपनाती है, पर रोचकता अंत तक बनाए रखती है। अन्य हैरी पोटर फिल्मों में ड्रैगन, हिप्पोग्रिफ, दानव आदि कृत्रिम जानवरों का एनिमेशन सीक्वेन्स भी रहता था, पर इसमें वह सब नहीं है। केवल हैग्रिड द्वारा एक मरी हुई मकड़ी को दफनाने का छोटा सा दृश्य है। इसमें मकड़ी कोई पराक्रम नहीं करती, मरी जो है!
पुस्तक विधा का फिल्म विधा में रूपांतरण हमेशा एक कौतूहल का विषय होता है। होलीवुड इस काम में माहिर है। हैरी पोटर की किताबों में इतनी कल्पनाशील बातें हैं, कि पहली नजर में ऐसा ही लगता है कि इन्हें फिल्म माध्यम से व्यक्त करना असंभव होगा, पर अब तक आई सभी हैरी पोटर फिल्मों में इसे बखूबी कर दिखाया गया है।
हैरी पोटर की किताबें उन इने-गिने विश्व साहित्य की किताबों में से हैं जिनका हिंदी अनुवाद मूल अंग्रेजी किताब के प्रकाशित होते ही प्रस्तुत किया जा सका है। हैरी पोटर किताबों के हिंदी संस्करण को भोपाल के मंजुल प्रकाशन ने सुंदर रूप से प्रकाशित किया है। इन किताबों के अनुवादक हैं सुधीर दीक्षित। उन्होंने इन पुस्तकों का बहुत ही सफल अनुवाद किया है। मैंने प्रथम दो किताबों का हिंदी संस्करण खरीदा है और अंग्रेजी संस्करण से उनकी तुलना करके देखा है। अनुवाद मूल के बहुत निकट है और उतना ही रोचक। अनुवादक ने मूल पुस्तक के कई अंशों का देशीकरण सुंदर रीति से किया है। इससे पुस्तक की स्वाभाविकता बढ़ी है। उदाहरण के लिए मूल अंग्रेजी पुस्तक में जादुई सूत्रों के लिए लैटिन के पदों का उपयोग किया गया है। इनके लिए अनुवादक ने संस्कृत के वाक्य रखे हैं।
पुस्तक प्रकाशन के इतिहास में हैरी पोटर शृंखला एक अजीब सा फेनोमेनन है। ये पुस्तकें मुख्य रूप से बच्चों के लिए लिखी गई थीं, पर वे वयस्कों में भी उतनी ही लोकप्रिय हुईं। इन किताबों की मूल कथा भी हमारे रामायण, महाभारत आदि के समान अच्छे और बुरे की लड़ाई को लेकर चलती है। इन किताबों में हालांकि जादू की दृष्टि से सब कुछ देखा गया है, पर ये आधुनिक समाज की समस्याओं और दिशाओं का सुंदर चित्रण करती हैं और प्रगतिशील तत्वों का समर्थन करती हैं। उदाहरण के लिए इन किताबों में नशीली दवाओं के सेवन की निंदा, पारिवारिक मूल्यों का समर्थन, नस्लवाद की निंदा, अभिजातवाद की निंदी, मैत्री भावना की प्रशंसा, ऊंचे आदर्शों के लिए सब कुछ दांव पर लगाकर लड़ना, हमेशा सही बात का पक्ष लेना और विजयी होना, बुरे के साथ कभी समझौता न करना, इत्यादि सकारात्म विचारों को पोषित किया गया है, जिससे ये किताबें बच्चों पर अच्छा प्रभाव डाल सकती हैं।
हालांकि इन किताबों को लिखा है यूके की एक महिला ने (जे के रोलिंग) पर इसमें ईसाई धर्म या यूरोपीय सभ्यता के प्रति कहीं पक्षपात नहीं दिखाई देता। इस दृष्टि से इसे एनिड ब्लाइटन, विलयम, हार्डी बोइस, नेन्सी ड्रू आदि अन्य अंग्रेजी बाल साहित्य की तुलना में हमारे बच्चों के लिए अधिक उपयुक्त माना जा सकता है क्योंकि हमारे बच्चे इस किताब से आसानी से रिलेट कर सकते हैं। इन किताबों में एक दो गौण भारतीय पात्र भी हैं, जैसे होग्वर्ट्स स्कूल में पढ़नेवाली जुड़वा बहनें पद्मा और पार्वती। इन किताबों में लोगों की वेश भूषा, भोजन-पान आदि भी किसी समुदाय, वर्ग, या संस्कृति से निरपेक्ष हैं। इसलिए भी हमारे बच्चे इसे आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं। और हमारे बच्चों को इन किताबों को अंग्रेजी में पढ़ने की भी आवश्यकता नहीं है, ये किताबें हिंदी में भी उपलब्ध हैं। मैंने कहीं पढ़ा था कि हैरी पोटर की हिंदी किताबें भारत में हैरी पोटर के अंग्रेजी संस्करण से कई गुना ज्यादा बिकी हैं।
विदेशों में इन किताबों को लेकर इतना पागलपन है कि वहां हैरी पोटर के फैन जे के रोलिंग द्वारा पुस्तक पूरा करने से पहले ही अपनी ओर से अगला संस्करण लिखकर इंटरनेट पर डाल देते थे। मैंने हैरी पोटर के इस तरह के कई जाली संस्करण पढ़े हैं और कुछ तो इतने अच्छे हैं कि मूल जैसे ही लगते हैं। रूस के एक लेखक ने तो रूसी भाषा में हैरी पोटर पात्र को लेकर एक नई शृंखला ही शुरू कर दी है।
ऐसा हमारे यहां केवल रामायण को लेकर हुआ है। तुलसीदास, कंबन आदि की रामायण मूल वाल्मीकि रामायण जितनी ही लोकप्रिय और अच्छी बन पड़ी हैं। पर आधुनिक समय की किताबों को लेकर ऐसा देखने को नहीं मिलता। प्रेमचंद, अमृतनाल नागर, वृंदावनलाल वर्मा, निराला आदि के उपन्यासों के पात्रों को लेकर अन्य लेखकों द्वारा उपन्यास लिखा गया हो, ऐसा मैंने नहीं सुना है।
हां, एक उदाहरण मुझे याद आ रहा है। यह है भगवतीशरण वर्मा द्वारा लिखा गया उपन्यास, टेढ़े मेढ़े रास्ते। इस उपन्यास में वर्मा जी ने एक जमींदार और उसके बेटों की कहानी सुनाई है। एक बेटा गांधीवादी बनता है, एक क्रांतिकारी और एक कम्यूनिस्ट। लेखक ने इन तीनों का पतन दिखाकर यह साबित करने की कोशिश की है ये तीनों ही रास्तें वरण करने लायक नहीं हैं। इस उपन्यास को लेकर काफी बवाल मचा था और डा. रामविलास शर्मा ने उस पर एक बहुत ही तीखी आलोचना लिखी, जो इतनी व्यंग्यपूर्ण और उत्तम है कि मूल उपन्यास से भी ज्यादा रोचक है। उसमें डा. शर्मा ने उपन्यास लेखक पर आरोप लगाया है कि उन्होंने यह उपन्यास अमरीकी हितों को बढ़ावा देने और देश के विघटन को तेज करने के उद्देश्य से लिखा है।
इस उपन्यास के जवाब में रांगेय राघव ने एक उपन्यास लिखा, सीधे सच्चे रास्ते, जिसमें उन्होंने वे ही कथा-पात्र लिए जो टेढ़े मेढ़े रास्ते में हैं और उन तीनों बेटों द्वारा अपनाए गए मार्गों की अधिक सकारात्मक परिणति दिखाई। इस पुस्तक की भूमिका के रूप में उन्होंने डा. शर्मा द्वारा लिखी टेढ़े मेढ़े रास्ते की समालोचना को जोड़ दिया। इन तीनों को, यानी, टेढ़े मेढ़े रास्ते, डा. शर्मा द्वारा लिखी गई इस उपन्यास की समालोचना, और सीधी सच्चे रास्ते को, यदि कोई इसी क्रम में पढ़े, तो उसे सबसे अधिक मजा आएगा।
Saturday, July 18, 2009
कल हमने देखी हैरी पोटर की नई फिल्म
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: भगवतीशरण वर्मा, रांगेय राघव, रामविलास शर्मा, हैरी पोटर
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11 Comments:
harry potter film ke bahane kai aur baate bhi pata chali.. shukriya is post ke liye..
आपने तो हैरी पाटर सीरीज के प्रति मेरी जिज्ञासा बढा दी -शुक्रिया !
टेढ़े मेढ़े रास्ते और सीधा सादा रास्ता तो उस युग में चल रही पोलिमिक्स का शानदार और रचनात्मक उदाहरण है। सीधा सादा रास्ता के लिए डॉ. रामविलास शर्मा द्वारा लिखी गई लंबी भूमिका उपन्यास की पृष्ठभूमि को स्पष्ट भी करती है।
हैरी पॉटर पर लीक से हटकर अनेक जानकारियाँ देने का आभार.
हैरी पाटर पर अच्छी जानकारी अब तो यह मायाजाल देखना ही पड़ेगा।
यह मगल नहीं मगलू होना चाहिए। जो खानदानी जादूगर नहीं होता उसे मगलू बुलाते हैं।
शायद सबको पता है यह तो।
मेरे जैसे भोंट को पता है तो सबको पता होगा। :)
यानि फिल्मों के शौकीन लोगों को... :)
एक ही थीम पर कई उपन्यास। वास्तव में उस गहराई तक उतरकर पात्रों के साथ रिलेट करना मुश्किल काम होता होगा तभी नई रचना बनाना अधिक सुभीता लगता होगा लेखकों को।
हरिपुत्र के बहाने हिन्दी उपन्यास परम्परा के एक रोचक प्रसंग से परिचय कराने के लिए धन्यवाद। साथ ही हरिपुत्र श्रृंखला के निरपेक्ष स्वरूप पर प्रकाश डालने के लिए।
हम लोगों ने तो 'चन्द्रकांता संतति' पर सीरियल बना उसकी दुर्गति कर डाली। अच्छा लगा कि विदेशी इस मामले में मूल उपन्यास माला से न्याय कर पाए हैं।
हेरी पॉटर की अपेक्षा तो मुझे टेढ़े मेढ़े रास्ते, डा. रामविलास शर्माकी तीखी आलोचना और सीधे सच्चे रास्ते लगी | कोशिश करूंगा की ये तीनो उसी क्रम मैं पढूं | अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद |
हेलो mr laxminarayan jii,
मुझे आपका article पड़कर बहुत ही अच्छा लगा और साथ ही ये जानकर भी की
आप और आपकी बेटी भी हैरी पॉटर सीरीज़ के उतने हो बड़े फेन है जितना की मै
मुझ पर और मेरे भाई पर हैरी पॉटर का इस कदर क्रेज छाया है की हमारे घर और पडोसी वाले
परेशान हो चुके है हा हा हा .........
मै और मेरे दोस्त हैरी पॉटर के लिए पागल हो चुके हैं मेरे मम्मी पापा वो तो पुरे मगल्स हैं , मैंने इसके हर फिल्म १५-१५ बार थिएटर पर देखी है
खैर मुझे मालूम है की दुनिया मे हैरी पॉटर सीरीज़ की जगह कोई और ले ही नहीं सकता
मै बुक्स कम पड़ता हूँ पर हैरी पॉटर सीरीज़ ने मुझे इसके लिए मजबूर कर दिया
मै फिल्मे कम देखता हूँ पर हैरी पॉटर के कारण इसका शौक चढ़ गया
no doubt हैरी पॉटर दुनिया के बेहतरीन novels मे एक है
finally मुझे इसके अगले २ पार्ट्स का इंतजार है
जिसके लिए मै हर पल गिन रहा हूँ
मै मानता हुँ की हैरी पोटर ऐक अच्छि कहानी है पर यह कल्पना है यह कहानी सोच पर प्रभाव डाल सकती है
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