जापानी भाषा में कराटे का मतलब होता है खाली हाथ। कराटे निहत्था रहकर लात, मुक्के आदि से अपने शत्रु पर हावी होने की कला है। इसमें जोर इस बात पर दिया जाता है कि शरीर की सारी ताकत उस बिंदु पर केंद्रित की जाए जो प्रतिद्वंद्वी के संपर्क में आनेवाला है।
सन 500 ई. के आसपास बोधिधर्म नामक बौद्ध भिक्षु धर्म-प्रचार के लिए भारत से चीन गए। अपने साथ वे यौगिक साधना के सिद्धांत और उनसे प्राप्त शक्ति के सदुपयोग संबंधी जानकारी भी ले गए। उनका उद्देश्य चीन देश में महात्मा बुद्ध के संदेश को फैलाना था। वे चीन के होनान प्रांत के शाउलिन नामक मंदिर में बस गए। उन्होंने देखा कि इस मंदिर के पुजारी, जिन्हें वे बौद्ध धर्म में दीक्षा देना चाहते थे, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से कमजोर थे। भिक्षु के कठोर जीवन बिताने की क्षमता उनमें नहीं थी। इसलिए बोधिधर्म को पहले उन्हें योग की शिक्षा देनी पड़ी ताकि वे अपने शरीर और मन का पूर्ण विकास कर सकें। पुजारियों को इस काम में मदद देने के लिए उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था तनाव-मुक्ति के सिद्धांत। कराटे आदि निहत्था युद्ध प्रणाली का आदि ग्रंथ यही है। शाउलिन मंदिर के पुजारी शीघ्र ही बोधिधर्म के मार्गदर्शन में निहत्था लड़ाई में पारंगत हो गए। उन्हीं की शिष्य परंपरा से निहत्था युद्ध की अनेक शैलियां विकसित हुईं और विश्व भर में फैल गईं जैसे कराटे, कुंगफू, केंपो आदि। आज ये सब चीन, जापान, कोरिया, अमरीका और ब्रिटेन में अत्यंत लोकप्रिय हैं।
ओलिंपिक्स, एशियाई खेल आदि अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भी इनका प्रदर्शन होता है। कराटे प्रतियोगिता दो मिनट या उससे कुछ अधिक समय के लिए चलती है। दोनों प्रतिद्वंद्वियों में से वह प्रतिद्वंद्वी विजयी होता है, जो दूसरे के रक्षा के दायरे को दो बार भेदने में सफल होता है। इस प्रतियोगिता में किसी भी प्रकार का शारीरिक संपर्क वर्जित होता है क्योंकि कराटे के चैंपियन इतने शक्तिशाली होते हैं कि एक ही वार से ईंट, कवेलू, लकड़ी के बोर्ड आदि को तोड़ सकते हैं। यदि उनका वार प्रतिद्वंद्वी को लग जाए तो वह तुरंत मर सकता है या उसकी हड्डियां टूट सकती हैं।
कराटे को केवल एक खेल के रूप में लेना ठीक नहीं होगा। वास्तव में वह एक सर्वांगपूर्ण जीवन-दर्शन है। वह अपने अनुयायियों में असीम आत्मविश्वास जगाता है और उन्हें किसी भी प्रकार के विघ्न-बाधाओं को पार करने की शक्ति देता है। कराटे में अहिंसा पर बहुत जोर दिया जाता है। कराटे से प्राप्त शक्ति का प्रयोग केवल आत्मरक्षा के लिए या किसी अच्छे उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।
Thursday, June 04, 2009
कराटे की कहानी
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: कराटे
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4 Comments:
अच्छा आलेख। कुछ जानकारी भी मिली। आभार।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
अच्छा लेख है और जानकारी से भरा
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
कराटे की कहानी सुनाने के लिए शुक्रिया।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Bahut achchhi jankari di aapane......thank you..........
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