विश्व में पहला डाक टिकट आज से डेढ़ सौ साल पहले ब्रिटेन में जारी हुआ था। यह डाक टिकट काले रंग में एक छोटे से चौकोर कागज पर छपा था। उसमें ब्रिटेन की महारानी का चित्र अंकित था और उसकी कीमत एक पेनी रखी गई थी। यह डाक टिकट पेनी ब्लैक के नाम से मशहूर हुआ। यह डाक टिकट हालांकी पहली मई 1840 को बिक्री के लिए जारी किया गया था, लेकिन डाक शुल्क के लिए इसे 6 मई 1840 से बैध माना गया। यहीं से डाक टिकटों की परंपरा शुरू होती है। इस डाक टिकट की कहानी अत्यंत रोचक है।
1837 में रोलैंड हिल ने डाक व्यवस्था में सुधार और डाक टिकटों द्वारा डाक शुल्क की वसूली के बारे में दो शोधपत्र प्रकाशित किए। इन शोधपत्रों में उन्होंने यह सुझाव दिया कि प्रत्येक आधे औंस के वजन के पत्र पर एक पेनी की समान डाक शुल्क दर लगाई जाए चाहे वह पत्र कितनी ही दूर जाता हो और यह डाक शुल्क पेशगी अदा की जाए। जहां तक डाक शुल्क का भूगतान करने का संबंध है, इस बारे में हिल ने मोहर लगे छोटे-छोटे लेबल जारी करने का सुझाव दिया, लेबल सिर्फ इतने बड़े होने चाहिए कि उन पर मुहर लग सके।
गोंद लगे डाक टिकटों का उचित डिजाइन तैयार करने के लिए ब्रिटेन की सरकार ने प्रतियोगिता आयोजित की। इस प्रतियोगिता में 2,600 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं लेकिन इनमें से कोई भी डिजाइन उपयुक्त नहीं पाई गई। अंततः हिल ने महारानी के चित्र को डाक टिकट पर छापने का निर्णय किया। इस चित्र के लिए उन्होंने महारानी के उस चित्र को चुना जिसे विलियम वायन ने 1837 में नगर की स्थापना की यादगार के रूप में जारी किए गए मेडल पर अंकित किया था। उन्होंने इसका आकार टैक्स लेबलों पर इस्तेमाल किए जाने वाले चित्रों के आकार जैसा रखा। वायन के मेडल पर अंकित चित्र के आधार पर डाक टिकट तैयार करने के लिए लंदन के हैनरी कारबोल्ड नामक चित्रकार को उसे वाटर कलर पर उतारने के लिए कहा गया। एक पेनी का डाक टिकट काले रंग में और दो पेंस का डाक टिकट नीले रंग में छापा गया। हालांकि, दो पेंस के डाक टिकट 8 मई 1840 तक जारी नहीं हुए।
लैटर शीट्स, रैपर्स और लिफाफे आदि डाक स्टेशनरी भी पेनी ब्लैक के साथ-साथ छप कर जारी हुईं। इनमें से मुलरेडी लिफाफे (जिनका नाम इनका डिजाइन बनानेवाले विलियम मुलरेडी के नाम पर रखा गया था) मशहूर हैं। यह डिजाइन काफी मशहूर हुआ लेकिन लिफाफे लोकप्रिय नहीं हुए। पेनी ब्लैक टिकट एक वर्ष से भी कम समय तक प्रयोग में रहा और 1841 में इसका स्थान पेनी रेड टिकट ने ले लिया।
पेनी ब्लैक डाक टिकट के बाद तो एक के बाद एक करके अनेक अन्य देशों ने भी डाक टिकट जारी करना शुरू कर दिया। भारत में डाक टिकटों की शुरुआत 1852 में हुई। इस वर्ष सिंध प्रांत में और मुंबई कराची रूट पर प्रयोग के लिए सिंध डाक नामक डाक टिकट जारी किया गया।
Thursday, June 04, 2009
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8 Comments:
बहुत बढिया जानकारी. पोस्ट इंडिया सब है हमारे पास और देशीरियासतों मे काफ़ी कुछ है और उसी मे ज्यादा इंटरेस्ट रहता है.
बहुत अच्चा लिखा आपने,
रामराम.
प्रेरक कहानी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुन्दर जानकारी
iska ullekh aaj ke amar ujala me aaya hai...badhai
शेफाली पांडे: यह जानकारी देने के लिए आभार।
Nice
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Ty bhaisahab jankari bahut achi h
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