तिरुनेलवेली, तमिलनाडु से खबर है कि सरकारी अस्पताल से एक बालिका को चुराते समय धनमनि नाम की एक महिला पकड़ी गई है। इससे की गई पूछताछ के फलस्वरूप पूरे तमिलनाडु में फैले बच्चों के व्यापारियों का एक बड़ा गिरोह भी प्रकाश में आया है।
पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है, और 7 बच्चों को उनसे छुड़ाया है। इनमें से 5 बच्चों को उनके मां-बांप को लौट दिया गया है। बाकी दो के परिवारों की खोज की जा रही है। गिरफ्तार लोगों में राजन नामक एक व्यक्ति भी है जो बच्चों के लिए एक अनाथालय चलाता है।
ये लोग निस्संतान लोगों को बच्चे बेचते थे। कुछ बच्चे कारखानेदारों, दुकानदार, होटल मालिकों, आदि को बाल श्रमिक के रूप में भी बेचे जाते थे। लड़कियां वैश्यालयों को बेची जाती थीं। एक बच्चे की कीमत 40-50 हजार रुपए बताई जाती है।
हमारे देश में बाल मजूरी जोरों से चल रही है, इसका यह घटना एक पुख्ता सबूत है। आश्चर्य और क्षोभ की बात यह है कि तमिलनाडु जैसे प्रगतिशील राज्य में भी, जहां बच्चों की शत-प्रतिशत स्कूल भर्ति होती है और मिड-डे मील आदि परियोजनाएं सुशासित रूप से चलाई जाती हैं – वहां भोजन में सांप आदि नहीं मिलते, जैसे अभी हाल में झारखंड से खबर आई है – बाल मजूरी इतने बड़े पैमाने पर हो रही है।
विशेषज्ञ यही कहते आ रहे थे कि बाल मजूरी उन्मूलन का सबसे कारगर तरीका सभी बच्चों को स्कूली शिक्षण देना है। पर तमिलनाडु की यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या केवल स्कूल शिक्षण से बाल मजूरी का उन्मूलन हो जाएगा? क्या सरकार और समाज को कुछ और भी करने की आवश्यकता है? यदि हां, तो वह क्या है?
हर भारतीय को इस घटना को गंभीरता से लेते हुए इन प्रश्नों पर विचार करना चाहिए ताकि इस देश को जल्द से जल्द बाल-श्रम मुक्त किया जा सके।
Wednesday, June 10, 2009
बच्चों का व्यापारी गिरफ्तार, 7 बच्चे छुड़ाए गए
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3 Comments:
umda post
behtareen post
atyant upyogi post
BADHAI>>>>>>>>>>
कृष्णचन्दर का उपन्यास 'दादर पुल के बच्चे' कहीं मिले तो पढें बच्चों के व्यापर का एक अलग पहलू है उसमे
जनसंख्या नियंत्रण और लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित किए बिना इस पर नियंत्रण नहीं हो सकेगा। यह पूर्णत: शासन व्यव्स्था का मामला है ।
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