त्वचा के रोग हो जाएं तो परेशानी बहुत होती है। वे जल्दी ठीक भी नहीं होते। खाज ऐसा ही एक रोग है। वह उंगलियों के बीच, कमर और जनन अंगों पर होती है। खाज होने पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं, जिनमें बहुत खुजली होती है। खुजलाने से बड़े घाव बन जाते हैं।
खाज कीटाणुओं की वजह से होती है। ये कीटाणु छूने से फैलते हैं। बीमार के कपड़े और बिस्तर साफ रखें और उन्हें धूप दिखाएं। जो कपड़े शरीर को छूएं, वे गीले नहीं होने चाहिए।
नीम के पत्तों के उबले पानी से नहाएं। नींबू के रस और कपूर को सरसों के तेल में मिलाकर खाज वाले स्थानों पर लगाएं। नीम के कुछ पत्ते उबालकर पीसें। इसमें हल्दी मिलाकर दानों पर गाढ़ा लेप करें। कुछ देर धूप में खड़े रहें। ऐसा तीन दिन करें। इन दिनों नहाएं नहीं। चौथे दिन नहाकर साफ कपड़े पहनें। नीम के पत्ते पीसकर उसमें घी-शक्कर मिलाकर गाढ़ा घोल बनाएं। इसे दिन में २-३ बार खाएं। ऐसा २-३ दिन करें। इन सब उपचारों के बाद भी अगर खाज ठीक न हो, तो डाक्टर को दिखाएं।
Saturday, June 20, 2009
खाज का घरेलू इलाज
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6 Comments:
अन्ना, इस भयानक गरमी में, 'न नहाना' वह भी 4 दिनों तक !
असम्भव। खाज रहे चाहे जाए।
वैसे खाज खुजाने के आनन्द पर भी कुछ लिखना था। कहते हैं ब्र्ह्मानन्द के बाद उसी का स्थान है। आज कल आप पोस्ट जल्दीबाजी में ठेल दे रहे हैं।
बाकी फिर कभी। थोड़ा खुजा लूँ।
उपयोगी जानकारी.
आभार जानकारी के लिए.
टेम्परेचर अभी भी 43 के पार चल रहा है,ऐसे मे तीन दिन बिना नहाये?वैसे नीम की कोंपलो का थोड़ा-थोड़ा रस हम लोगो को नानाजी पिलाया करते थे गर्मियों मे सप्ताह मे एक दिन,आम खाने से पहले।
उपयोगी जानकारी है।आभार।
about of islam
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