यदि पौधों को संगीत सुनाया जाए, तो उनकी बढ़त अधिक होती है। गाएं संगीत सुनाने पर अधिक दूध देती हैं। यदि घुड़शाला में संगीत प्रसारित करने की व्यवस्था हो, तो घोड़े दौड़ में अधिक चुस्ती दिखाते हैं। रोते बच्चे संगीत सुनकर चुप हो जाते हैं और उन्हें नींद आ जाती है। गर्भस्थ शिशु भी संगीत सुनकर शांत हो जाते हैं।
अनेक वैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट हो चुका है कि संगीत हमारे शरीर की अनेक क्रियाओं पर, यहां तक कि मस्तिष्क के काम करने पर भी, प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए संगीत रक्तचाप, दिल के धड़कने की गति, सांस लेने की गति, खून में हार्मोनों के स्तर आदि को प्रभावित करता है।
संगीत हमें उदास भी बना सकता है, और डरा भी सकता है। डरावनी फिल्मों और दुखांत नाटकों में भय और उदासी का भाव संगीत के उपयोग से भी जगाया जाता है। संगीत हमें शांत भी कर सकता है, उदाहरण के लिए मंत्रों का उच्चारण, सुगम संगीत आदि। वह हमें उत्तेजित भी कर सकता है, जैसे पोप संगीत। वह हममें उमंग भर सकता है और हमारी चेतना को ऊपर उठा सकता है, जैसे भक्ति संगीत।
यह अनेक डाक्टरों का निजी अनुभव रहा है, विशेषकर मायूसी, सिरदर्द, चिंता, घबराहट आदि के मरीजों के संबंध में, कि उचित प्रकार के संगीत का उपयोग करने पर रोगियों को कम मात्रा में औषधियां देकर ही ठीक किया जा सकता है। समूह गान में हिस्सा लेकर रोगी मायूसी (डिप्रेशन) से राहत महसूस कर सकते हैं। संगीत की क्षमता हमारे मस्तिष्क के दाहिने हिस्से में होती है, जबकि बोलने की क्षमता बाएं हिस्से में। अतः मस्तिष्क को आघात लगने पर कई बार रोगी बोलने की क्षमता तो खो देता है, पर गा सकता है।
संगीत कैंसर के मरीजों में या शल्यक्रिया के बाद महसूस होनेवाले तीखे दर्द को कम कर सकता है। प्रसव के कष्टों को भी संगीत आसान बना सकता है। यह देखा गया है कि जिन अस्पतालों में प्रसव-कक्ष में धीमा संगीत बजाने की व्यवस्था हो, वहां प्रसव के दौरान डाक्टरों को कैंची का उपयोग कम करना पड़ता है।
संगीत के साथ-साथ व्यायाम करना और भी अधिक गुणकारी है। कई लोग व्यायाम करने से कतराते हैं, लेकिन संगीत की लय पर शरीर को हिलाने में उन्हें आनंद आता है। वजन घटाने के कार्यक्रमों में और विद्यालयों में संगीत के साथ व्यायाम कराया जाता है।
मनुष्य लय और ताल से प्रभावित होनेवाला प्राणी है। मानव-शरीर स्वयं भी एक लय-ताल से संचालित होता है, जैसे दिल के धड़कने का ताल और सांसों की लय।
संगीत चिकित्सा एक प्राचीन विधा है और भारत जैसे देशों में उसका सैंकड़ों सालों से उपयोग होता आ रहा है। संगीतज्ञ बताते हैं कि आनंद भैरवी राग सुनने से रक्तचाप कम होता है। इसी प्रकार अमृतवर्षा राग वर्षा करा सकता है। नीलांबरी राग नींद ला सकता है। अस्पतालों में रोगियों को मीठी नींद में सुलाने के लिए इस राग का उपयोग किया गया है और इसके अच्छे परिणाम देखे गए हैं।
Sunday, May 10, 2009
संगीत से इलाज
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: विविध
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2 Comments:
संगीत सीखने वाले बच्चों की स्मरण शक्ति भी तेज़ होती है ऐसा भी सुना है.
संगीत का असर पेड़ पोधे की बढ़त पर होता है इस का हम भी प्रयोग कर चुके हैं..घर के पोधों पर..
संगीत के प्रभाव पर लिखा यह अच्छा lekh hai.
Tiger Lion चित्र वाले ब्लॉग पर कमेंट का पेज नहीं खुल रहा है और आपका ईमेल पता भी नहीं है. धरा बचाओ अभियान में साथ देने के लिए आपका साधुवाद!!
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