बताया जाता है कि मुंबई में मात्र 43% लोगों ने वोट डाले। यह वही मुंबई है जहां नवंबर में आतंकी हमले हुए थे। लोगों को उम्मीद थी कि मुंबईवाले इस बार भारी मतदान करके राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिचय देंगे। पर नहीं, मुंबई निवासी पहले जैसे ही पैसे बनाने के अपने-अपने धंधों में लगे रहे।
उधर राजकोट जिले में एक गांव है राज समधियाला। यहां पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने से मना कर दिया गया था।
लेकिन जब चुनाव का दिन आया तो पूरा गांव वोट देने उपस्थित हुआ। यहां के मतदान केंद्र में 81% मतदान हुआ।
यह गांव भारत के सबसे साफ-सुथरे गांवों में से एक माना जाता है। यहां के खंड विकास समिति ने फतवा जारी किया था कि जो भी वोट नहीं डालेगा, उसे 51 रुपए का दंड लगेगा।
इस गांव के सरपंच हैं जयवीरसिंह जाडेजा।
गांव में वोटरों की संख्या 1019 है, जिनमें से 850 ने वोट डाले।
समिति ने 50 लोगों को वैध कारणों से वोटिंग से दूर रहने की अनुमति दी थी। अब वह खोजबीन कर रही है कि वे 119 लोग कौन थे, जिन्होंने वोट नहीं दिए।
इस गांव के 150 वोटर अन्यत्र जाकर बस गए थे, पर वोटिंग के दिन इनमें से 80 व्यक्ति सिर्फ वोट डालने के उद्देश्य से गांव लौट आए।
गुजरात से ही एक अन्य रोचक खबर भी सुना दूं -
यहां के एक नाई ने घोषणा की कि जिन्होंने वोट डाले हों, उन्हें वह फ्री में शेव देगा। और उसने लगभग 80 लोगों को फ्री शेव दिया भी।
तो इस तरह के उदाहरण भी हमारे देश में मिलते हैं, जिनके कारण आशाएं बनी रहती हैं।
Friday, May 01, 2009
एक ओर है मुंबई, दूसरी ओर राज समधियाला गांव
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: चुनाव
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1 Comment:
उत्तम. प्रेरणादायी पोस्ट
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