शायद भारत के सिवा और कहीं भी मस्तक पर तिलक लगाने की प्रथा प्रचलित नहीं है। यह रिवाज अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है।
मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना उपयोगी माना गया है। माथा चेहरे का केंद्रीय भाग होता है, जहां सबकी नजर अटकती है। उसके मध्य में तिलक लगाकर, विशेषकर स्त्रियों में, देखने वाले की दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है।
स्त्रियां लाल कुंकुम का तिलक लगाती हैं। यह भी बिना प्रयोजन नहीं है। लाल रंग ऊर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक होता है। तिलक स्त्रियों के सौंदर्य में अभिवृद्धि करता है। तिलक लगाना देवी की आराधना से भी जुड़ा है। देवी की पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
Saturday, August 01, 2009
तिलक का महत्व
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: विविध
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6 Comments:
badhhiya jaankari di hai.kyonki log jaante hi nahi ki tilak kyon lagaya jaata hai.
आपको पढ़ना हमेशा ही नया अनुभव होता है
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चाँद, बादल और शाम
देवी प्रपन
नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोखिलश्च
बालसुब्रमण्यम जी,
तिलक के महत्त्व पर आपका लेख ज्ञानवर्धक है। इस विषय में एक नजर कृपया इधर भी डालने का श्रम करें। महिमा तिलक की
बालसुब्रमण्यम जी,
तिलक के महत्त्व पर आपका लेख ज्ञानवर्धक है। इस विषय में नजर कृपया इधर भी डालने का श्रम करें। http://aspundir.wordpress.com/2008/08/08/importance-of-tilak/ महिमा तिलक की
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