बिना बोले बातचीत - 6
ईश्वर या हमसे बड़े एवं शक्तिशाली व्यक्ति के प्रति आदर प्रकट करने के लिए हम उनके सामने घुटने टेकते हैं (ईसाई), शरीर को झुकाते हैं (मुसलमान), या साष्टांग प्रणाम करते हैं (हिंदू)। इन सब चेष्टाओं में जो सामान्य बात है वह यह है कि हम अधिक शक्तिशाली व्यक्ति से (यानी ईश्वर से) हमारी ऊंचाई कम कर लेते हैं। कभी-कभी किसी व्यक्ति के प्रति आदर दिखाने के लिए हम अपने सिर से टोपी अथवा पगड़ी उतार देते हैं। इससे भी हमारी ऊंचाई उस व्यक्ति से कम हो जाती है। दिलचस्प बात यह है कि सैनिकों की सलूट मारने की क्रिया भी टोपी अथवा पगड़ी उतारने की क्रिया का ही सांकेतिक रूप है।
इसके ठीक विपरीत यदि हमें किसी व्यक्ति के प्रति अनादर दिखाना हो, तो हम अपनी ऊंचाई को उससे अधिक करने की कोशिश करते हैं। यह विशेषकर तब स्पष्ट होता है जब दो व्यक्ति झगड़ रहे होते हैं। दोनों सीना तानकर और पंजों के बल खड़े होकर अपने प्रतिद्वंद्वी से ऊंचा होने की चेष्टा करते हैं।
हम पगड़ी, टोप, हैट, मुकुट, किरीट, मोर-पंख आदि का धारण भी इसीलिए करते हैं। इससे हमारी ऊंचाई अधिक प्रतीत होती है, जिससे दूसरे लोग रौब में आ जाते हैं। पगड़ी उतारना, बेइज्जत करने के बराबर है। किसी के पैरों में अपनी पगड़ी रख देना, उसके आसमने आत्म-समर्पण करने का संकेत देता है।
इस सामान्य नियम का शायद एक ही अपवाद है। वह है दरबार जहां राजा तो बैठा होता है, जब कि उसके दरबारी खड़े होते हैं। परंतु यहां भी राजा का आसान ऊंचाई पर होता है जिससे बैठे होने पर भी वह सामने खड़े दरबारियों से अधिक ऊंचाई पर रहता है।
Sunday, August 09, 2009
ईश्वर को नमन क्यों?
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: बिना बोले बातचीत
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4 Comments:
सुन्दर आलेख।
अगले की प्रतीक्षा
सहमत
मैं आपके सारे लेख पड़ती हूं। कितने साधारण तरीके से आप सारी जानकारी दे देते हैं। कुल मिलाकर ज्ञान का भंडार हैं आप। पर मैं आपके इस लेख "ईश्वर को नमन क्यों करते हैं" में "दिलचस्प बात यह है कि सैनिकों की सलूट मारने की क्रिया भी टोपी अथवा पगड़ी उतारने की क्रिया का ही सांकेतिक रूप है" परंतु मेरी एक फौजी से बात हुई थी जिससे मैंने पूछा था कि सैलूट का क्या मतलब है। क्यों ये शुरु हुआ। तो उन्होंने मुझे बताया कि ये अब तो प्रथा बन चुका है इसका वास्तविक मतलब अपने सीनियर को सिक्योर करना है कि मैं आपका वफादार हूं। क्योंकि हमेशा भरी हुई गन एक इंसान के पास होने का मतलब असुरक्षा भी हो सकता है। तो किसी भी सीनियर के सामने से गुजरते हुए। उसके कमरे में जाते हुए। पैर पटक कर सैलूट करना कि इस बात का संकेत है कि मैं वफादार हूं। मेरे हाथ खाली हैं। हो सकता है ये जानकारी गलत हो पर मुझे ये लॉजिकली ठीक लगी तो मैं आपसे शेयर कर रहीं हूं।
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