Tuesday, August 04, 2009

बिना बोले बातचीत -1

राजनीतिकों, अभिनेताओं, कूटनीतिज्ञों, बिक्री कर्मचारियों व अन्य अनेक व्यवसायी लोगों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के हावभावों, उनके अव्यक्त विचारों व मनस्थिति का कितना सटीक आंकलन कर पाते हैं। इसके लिए इन सभी लोगों को मनुष्य की शारीरिक चेष्टाओं, खास करके उनके चेहरे के हावभावों, पर विशेष ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि ये अनायास ही मन के विचारों का खुलासा करते हैं। आजकल प्रबंधकों, कूटनीतिज्ञों, बिक्री कर्मचारियों आदि को तैयार करते समय उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि वे किस प्रकार मनुष्यों की शारीरिक चेष्टाओं के आधार पर उनके मन के अव्यक्त भावों को समझ सकते हैं। मनोविज्ञान की एक पूरी शाखा इस विषय को लेकर चलती है और उसका मुख्य उद्देश्य है मनुष्य की हर शारीरिक चेष्टा का वैज्ञानिक अध्ययन करके उसके द्वारा व्यक्त विचार, स्वभाव, हाव-भाव, मनस्थिति आदि के बारे में अधिकाधिक जानना।

यों तो यह कोई नई विद्या नहीं है। साहित्य से परिचित व्यक्ति भाव और अनुभाव के सिद्धांत से अनभिज्ञ नहीं होंगे। भाव यानी मनस्थिति, जैसे, क्रोध, लज्जा, भय, विस्मय, जुगुप्सा, आदि, और अनुभाव यानी ऐसी शारीरिक चेष्टाएं जो मन पर किसी भाव के हावी हो जाने पर प्रकट होती हैं। उदाहरण के लिए क्रोधित होने पर भुजाएं फड़क उठती हैं, आंखें लाल हो जाती हैं, छाती फूल जाती है, मुट्टियां भींच जाती हैं, आदि। इसी प्रकार लज्जा अनुभव होने पर आंखें झुक जाती हैं, चेहरा लाल हो जाता है और हाथों की उंगलियां मली जाती हैं। इन सब चेष्टाओं को अनुभाव कहते हैं। कवि एवं साहित्यकार भाव-अनुभाव का काफी बारीकी से अध्ययन करते हैं क्योंकि इनकी अच्छी जानकारी के बिना नायक-नायिका आदि के मनोभावों को ठीक प्रकार से प्रकट नहीं किया जा सकता।

परंतु आजकल इस विद्या की उपयोगिता केवल कवि और सहृदय तक सीमित नहीं रह गई है। कोई भी व्यक्ति जिसे दूसरे मनुष्यों से काम पड़ता हो, चाहे वह खरीदारी पर निकली गृहणी हो या राष्ट्र का नायक, इस विद्या का लाभ उठाकर अपने कामों को अधिक कारगर ढंग से सिद्ध कर सकता है।

आइए इस लेख माला में इस अनोखे विज्ञान पर कुछ अधिक चर्चा करें।

(... जारी)

4 Comments:

Unknown said...

achha lagaa baanch kar..............
bahut umdaa vishya ...

Arun said...

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admin said...

Rochak.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

P.N. Subramanian said...

रुचिकर लेख. अगले कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी.

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