Friday, August 07, 2009

सायास शारीरिक चेष्टाओं से बातचीत

बिना बोले बातचीत - 4

पिछले लेख में हमने देखा कि हमारे मनोभावों को अनेक शारीरक चेष्टाएं भी व्यक्त करती है। मन में किसी प्रकार के भाव आने पर उस भाव से जुड़ी शारीरिक चेष्टाएं भी दिखाई देने लगती हैं। इन्हें देखकर कोई समझ सकता है कि हमारे मन में किस तरह के भाव हैं।

इन अनायास चेष्टाओं के अलावा हम अनेक सायास चेष्टाएं भी करते हैं जो अनेक सूचनाएं देती हैं। उदाहरण के लिए हाथ की सभी उंगलियों के सिरों को मिलाकर मुंह की ओर ले जाने का अर्थ है, "मुझे खाना दो". इसी समय दूसरे हाथ से पेट को सहलाना और शरीर को थोड़ा झुका लेने का अर्थ है, "मुझे भूख लगी है, खाना दो". सिर को ऊपर-नीचे हिलाकर हम सहमति व्यक्त करते हैं और दाएं-बाएं हिलाकर असहमति। हाथों को जोड़कर किसी को नमस्ते करना तथा किसी की ओर अंगूठा दिखाना, ये दोनों सायास की गई चेष्टाएं हैं जो बहुत अर्थगर्भित हैं। इसी प्रकार आंख दबाना एक ऐसी चेष्टा है जो अनेक बातों को व्यक्त कर सकती हैं, जैसे गोपनीयता, अश्लीलता, मित्रता आदि।

हाथ हिलाकर या केवल तर्जनी को हिलाकर हम असहमति और नाराजगी व्यक्त करते हैं। खुली हथेली को खड़ाकर दिखाकर हम रुकने का संकेत करते हैं, और हथेली की एक खास प्रकार की चेष्टा करके हम किसी को आगे बढ़ जाने का संकेत दे सकते हैं। हाथ कितने वाचाल हो सकते हैं, इसे समझने के लिए ट्रैफिक पुलिसमैन द्वारा हाथों से की जानेवाली चेष्टाओं को देखना काफी है। क्रिकेट का अंपायर भी हाथ की चेष्टाओं का खूब उपयोग करते हैं।

दोनों भौंहों को ऊपर उठाकर आश्चर्य व्यक्त करते हैं। एक भौंह को ऊपर उठाकर हम विनोद या कुतूहल दर्शाते हैं। भौंहों को मिलाकर हम गुस्सा जतलाते हैं।

इन सब चेष्टाओं का अत्यंत कलात्मक और परिष्कृत उपयोग नृत्य में होता है। कथकली आदि नृत्यकलाओं में इन चेष्टाओं को अधिक असरकारक बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के मुखौटे और मेकअप भी धारण किए जाते हैं।

भाषा के साथ-साथ ये सायास शारीरिक चेष्टाएं भी हमें अपने अभिप्राय को स्पष्ट करने में सहायक होती हैं। कई बार ये भाषा के पूरक भी होती हैं। उदाहरण के लिए उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब आपको कोई किसी जगह तक पहुचने के मार्ग के बारे में बता रहा है। वह शब्दों से अधिक हाथ अथवा उंगलियों द्वारा दिशा-निर्देश करता है।

(... जारी)

2 Comments:

Arvind Mishra said...

जेस्चर्स की अच्छी जानकारी !

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

बढ़िया! जारी रखें।

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