अब तक कूटनीति यही रही है हम अमरीका के सामने हाथ फैलाएं।
अन्य कूटनितिक पहल भी आवश्यक होंगे।
चीन पाकिस्तान को उभाड़नेवाला देश है। उसे रास्ते पर लाने के लिए भारत को ताइवान और तिब्बत की आजादी के आंदोलन को खुला समर्थन देना चाहिए। चीन के जिजियांग आदि प्रदेशों में घनी मुस्लिम आबादी है जो चीन से अलग होना चाहती है। इनमें तालिबान, अलकायदा आदि का प्रभाव बढ़ रहा है। यहां अलगाववाद फैलाने की ओर हमारी भेद नीति तेज करनी चाहिए। वहां आतंकी हमले कराने की कोशिश करनी चाहिए, पर इस तरह से कि यह लगे कि पाकिस्तान की ओर से हुआ है।
साथ ही पाकिस्तान के नागरिकों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहिए।
भारत के मुसलमानों को मुसलिम दुनिया में शीर्ष स्थान हथियाना चाहिए और साउदी अरब, ईरान, तालिबान आदि की कट्टरपंथी धारा को गैरइस्लामिक करार देना चाहिए। भारत के सहिष्णुतावादी सूफी धारा को असली इस्लाम के रूप में प्रचारित करना चाहिए। इसमें तुर्की, मलेशिया, इंदोनीशिया आदि नरम इस्लामी देशों का सहारा लेना चाहिए। इनके धर्म-गुरुओं का सम्मेलन भारत में बुलाना चाहिए। यह सरकार की ओर न करके, मुस्लिम समुदाय की ओर से होना चाहिए।
Saturday, December 20, 2008
मुंबई हमले का जवाब – कूटनीतिक पहल
लेखक: बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
लेबल: आतंकवाद, चीन, पाकिस्तान, मुंबई हमला
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