आवशयक साधन और कुशलताएं
इन जाल स्थलों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुवाद कार्य करने के लिए अनुवादकों के पास कुछ मूलभूत औजार होने चाहिए। चूंकि अधिकांश काम अंतरजाल के माध्यम से ईमेल के जरिए आता है, अनुवादकों के पास एक अच्छा कंप्यूटर और अंतरजाल के साथ जुड़ने का एक अच्छा माध्यम होना चाहिए। यदि ब्रोडबैंड कनेक्शन हो, तो सबसे अच्छा। इन सबको लगाने में जो खर्चा आएगा, उसे निवेश समझना चाहिए। कुछ ही महीनों में उसकी भरपाई हो जाती है।
अधिकांश विदेशी अनुवाद काम कंपनियों के जाल स्थलों के अनुवाद से जुड़ा होता है। चूंकि अनूदित सामग्री को अंतरजाल के माध्यम से प्रदर्शित करना होता है, इसलिए ग्राहक यूनीकोड की मांग करते हैं। अतः अनुवादकों को यूनीकोड का उपयोग करना आना चाहिए। विंडोस एक्सपी यूनीकोड का पूर्ण समर्थन करता है और आपको अपने कंप्यूटर पर विंडोस एक्सपी ही लगवाना चाहिए। इसे बड़ी आसानी से यूनीकोड के लिए सेट किया जा सकता है। एमएस वर्ड या हिंदी ओफिस जैसे शब्द संसाधक में हिंदी में यूनीकोड में काम किया जा सकता है। यदि आप लीप ओफिस या आईलीप में इनस्क्रिप्ट कुंजीपटल पर हिंदी टाइप करना जानते हों, तो आप यूनीकोड में भी टाइप कर सकते हैं क्योंकि यूनीकोड में हिंदी कुंजीपटल इनस्क्रिप्ट जैसा ही है। यदि आप कृतिदेव, सुशा, फोनेटिक आदि हिंदी फोंटों का उपयोग करते हों, तो आपको यूनीकोड में काम करने में तकलीफ हो सकती है। आपको इन पुराने फोंटों को छोड़कर यूनीकोड अपना लेना चाहिए क्योंकि सारी दुनिया इसी ओर झुक रही है। यूनीकोड के बिना आपका अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद व्यवसाय उठ नहीं सकेगा।
इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको स्रोत और लक्ष्य भाषा का उम्दा ज्ञान होना चाहिए और आपको अनुवाद कला में निपुण होना चाहिए। अधिकांश विदेशी ग्राहक हिंदी नहीं जानते और वे आपके द्वारा दिए गए अनुवाद का दूसरे हिंदी विशेषज्ञों से पुनरीक्षण करवाते हैं। यदि उन्हें पुनरीक्षकों से आपके अनुवाद के बारे में खराब रिपोर्ट मिले तो वे आपको दुबारा काम नहीं देंगे। वर्तनी, व्यावकरण आदि के मामले में भी आपको बहुत ही सजग रहना चाहिए। हिंदी के मानकीकृत रूप से आपका अच्छा परिचय होना चाहिए, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यही मान्य है। जैसे, लिए-लिये, लताएं-लतायें, गई-गयी आदि हिंदी के द्विरूपी शब्दों में प्रथम का उपयोग, यानी ए-ई वाले रूपों का उपयोग, पंचमवर्ण के स्थान पर अनुस्वार का उपयोग (संबंध न कि सम्बन्ध, गंगा न कि गङ्गा, डंडा न कि डण्डा, इत्यादि), अंकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंकों का उपयोग (1, 2, 3, न कि १, २, ३), इत्यादि, अनिवार्य है।
किसी एक विषय को चुनकर उसमें विशेषज्ञता प्राप्त करना भी उपयोगी होता है। उदाहरण के लिए कानून, व्यावसाय, अभियांत्रिकी, कंप्यूटर, चिकित्सा आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें काफी अनुवाद काम होता है। किसी भी अनुवादक के लिए इन सभी विषयों की शब्दावली से परिचित होना संभव नहीं हो सकता, इसलिए किसी एक विषय को चुनकर उसके हर पहलू पर जानकारी हासिल कर लेना उसके लिए उपयोगी रहेगा।
Thursday, January 08, 2009
अंतरजाल बनाएगा हिंदी अनुवादकों को लखपति - 4
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