Thursday, June 25, 2009

फोटो फीचर : देश-विदेश के प्यारे-प्यारे बच्चे - सो स्वीट

(चीन)


(ब्रिटन)


(फ्रांस)


(कोरिया)


(जापान)


(न्यूजीलैंड)


(अफ्रीका)


(भारत)

7 Comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

यह भारत की तोहीन सी लगती है , आपने बच्चे की ही फोटो लगा देते . अमेरिका में भी स्लमडॉग है ,और इंग्लॅण्ड में भी उनकी भी तस्वीर दिखाए

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

अन्ने, आप ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया। अब अफ्रीका के बच्चों तक को भारतीयों की तुलना में प्रसन्न दिखाएँगे तो लोग स्यापा करेंगे ही।

पब्लिक को भारत का यह अन्धकार पक्ष थोड़े दिखेगा! वे तो बस दूसरों का फटा देखना चाहते हैं, अपना नहीं। सुधार तो तब होगा न जब बुराई दिखेगी!

Udan Tashtari said...

बच्चे तो कहीं के भी हों, प्यारे ही होते हैं.

Unknown said...

in chitron ka sanyojan kavita sa lagta hai

bahut achha !

संजय बेंगाणी said...

अफ्रीका से भी गये गुजरे हैं हम? हजम नहीं होता. एक पक्ष जरूर है मगर संपूर्ण सत्य नहीं. दूर्भाग्य से बाल मजदूर हर कहीं हैं.

Gyan Dutt Pandey said...

दुखद।

Anonymous said...

अफ़्ररीकी देशो में सबसे ज्यादा कुपोशित बच्चे है ।वह तस्वीर भी दिखाईये।

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