Tuesday, June 09, 2009

तरबूज, गृहणी और विज्ञान


तरबूज खरीदने निकली हर गृहणी ने इस समस्या का सामना किया होगा, कि यह कैसे तै करें कि तरबूजवाले की दुकान में लगे तरबूजों की अंबार में से कौन-सा तरबूज ठीक प्रकार से पका हुआ है। तरबूजों की खोल से इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता क्योंकि पके और कच्चे दोनों प्रकार के तरबूजों का खोल एक समान हरा होता है। न खोल की सतह की कड़ाई या कोमलता से ही तरबूज के भीतर की स्थिति का ठीक पता लगता है, पके तरबूज का खोल कच्चे तरबूज के खोल से कुछ भी अधिक मुलायम नहीं होता। ऐसे में यदि दुकानदार तरबूज का फांका निकालकर दिखाने को तैयार न हो, तो तरबूज खरीदना एक जुआ ही होता है। किस्मत अच्छी रही तो रसदार, पका तरबूज आपके हाथ लगेगा, वरना आपके पैसे बरबाद।

गृहणियों की इस पेचीदा समस्या पर डेलावेर विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने गौर किया है और उन्होंने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो तरबूज को बिना चीरे ही उसके भीतर के रहस्य का खुलासा कर देता है। इस उपकरण में एक दोलक का इस्तेमाल होता है, जो तरबूज से टकराता है। टकराने से हुई ध्वनि को एक लैपटोप कंप्यूटर विश्लेषित करता है। ध्वनि के तरंगदैर्घ्य तथा प्रतिध्वनिक विशेषताओं के आधार पर कंप्यूटर तरबूज के पके होने या न होने की सूचना देता है। एक प्रयोग में इस उपकरण से मात्र 12 सेकेंड में ही पके तबूज की पहचान हो सकी।

छात्रों की इस खोज से गृहणियां प्रसन्न होंगी ऐसा नहीं लगता क्योंकि दस-बीस रुपए के तरबूज के लिए कौन हजारों रुपयों का कंप्यूटर खरीदेगा? लेकिन यह जरूर है कि गृहणियां अब यह शिकायत नहीं कर पाएंगी कि विज्ञान रोजमर्रा की छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान नहीं देता।

5 Comments:

Unknown said...

bhai ye toh gazab hai HA HA HA HA

रवि रतलामी said...

अभी कुछ दिन पहले ही बाजार गया था तो स्वीट बेबी वेराइटी का तरबूज आम तरबूज से तीन गुना महंगा बिक रहा था. पता चला कि ये जेनेटिकली मॉडीफ़ाइड और ज्यादा मीठा तरबूज है. हर तरबूज के मीठे होने की गारंटी. मैं लेकर आया और निराशा नहीं हुई.
विज्ञान तो महान है!

siddheshwar singh said...

बहुत बढ़िया तरकीब ! अच्छी जानकारी !

Arvind Mishra said...

अरे वाह जी एम् ओ तरबूज आ गया !

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

यह शायद किसी बड़ी खोज का secondary लाभ होगा। पता लगाइए असली बात क्या है?

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