Saturday, June 06, 2009

बच्चे, टीवी और मां-बाप

आजकल हर मां-बाप को टीवी को लेकर अपने बच्चों के साथ महाभारत लड़ना पड़ता है। मुख्य मुद्दा यह रहता है कि बच्चों को कितने घंटे टीवी देखने देना चाहिए और यह कि टीवी देखने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है।

रूस के कुछ शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सात साल से कम उम्र के बच्चों को दिन में आधे घंटे से अधिक समय के लिए टीवी देखने नहीं देना चाहिए और सप्ताह में दो या तीन बार से अधिक नहीं।

टीवी के सामने बच्चे किस मुद्रा में बैठते हैं, यह भी महत्वपूर्ण है। बच्चे कई बार लेटकर या उकड़ू बैठकर या टीवी के एकदम पास बैठकर कार्यक्रम देखते हैं। लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहने से बच्चों की कई शारीरिक क्रियाएं, जैसे पाचन, रक्त-संचार, श्वसन आदि अवरुद्ध हो जाती हैं, जो बच्चों के विकास पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

बच्चों को टीवी से पांच या छह फुट से अधिक की दूरी पर बैठना चाहिए। अठारह फुट से अधिक दूरी से टीवी देखना भी आंखों के लिए हानिकारक है। टीवी का पर्दा आंखों की ऊंचाई से कुछ नीचे रहना चाहिए।

यदि बच्चा चश्मा पहनता हो, तो टीवी देखते समय उसे चश्मा पहने रहना चाहिए, अन्यथा आंखों पर अत्यधिक जोर पड़ेगा। घुप अंधेरे में बच्चों को टीवी देखने न दें, टीवी वाले कमरे में हल्की रोशनी रहनी चाहिए। अन्यथा टीवी के पर्दे की तेज रोशनी से आंखें झिलमिला जाएंगी और आंखों के दृश्य-पटल (रेटिना) को नुक्सान पहुंचेगा।

5 Comments:

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

बेटे का कार्टून पुराण दर्शन बन्द कराना पड़ेगा । दोषी मैं ही हूँ जो उसे समय नहीं देता । अपना सुधार पहले आवश्यक है।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

आधुनिकीकरण कुछ तो भोगमान करना ही होगा:)

Unknown said...

कैसे से ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि टीवी पर क्या देखा जाना चाहिए।
चयन करना सिखाना और सही चीज़ों में दिलचस्पी पैदा करना हमारा ही काम है।
पर हमेशा से लंबित.

राज भाटिय़ा said...

आप के लेख से सहमत हुं, ओर मेरे घर मै यह ही चलता है.
धन्यवाद आप ने बहुत ऊचित बात बताई

परमजीत सिहँ बाली said...

आप के लेख से सहमत।लेकिन आज कल समयभाव के कारण माँ-बाप इस ओर ध्यान नही देते।इसी लिए आज कल छोटे छोटॆ बच्चों को चश्मा लग जाता है।टी वी के प्रति बच्चों की बढती रूचि सच मे चिंता का विषय है।

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