Thursday, July 09, 2009

मुहम्मद मुबीन शेख


कल अचानक मुबीन साहब से गपशप (चैट) करने का अवसर मिल गया। जब उनका हैलो वाला मेसेज गूगलटोक पर आया तो पहले तो मैं उन्हें पहचान नहीं पाया। कई महीने पहले उनसे ईमेल के जरिए बातचीत हुई थी। उन्होंने ही मुझसे संपर्क किया था। उन्होंने बच्चों के लिए विज्ञान कथाओं की एक किताब लिखी थी, स्टार वार। उस पर वे मेरी राय जानना चाहते थे।

उस समय ये कथाएं पुस्तक रूप में प्रकाशित नहीं हुई थीं। उन्होंने इन कथाओं को एक वेब साइट पर अपलोड कर रखा था। वहीं मैंने उन्हें पढ़ा भी। मुझे ये सरल कहानियां बच्चों के लिए बहुत ही उपयुक्त लगीं। वैसे भी विज्ञान कथा लेखन का क्षेत्र हिंदी में अधिक विकसित नहीं हुआ है, खासकर बच्चों के लिए विज्ञान कथाओं का क्षेत्र। इसलिए मुबीन साहब की कहानियां एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं। आप भी पढ़िए उन्हें, इस कड़ी पर –

http://ghazlein.bizhat.com/Hindi%20Starwar/index.htm

अब ये कथाएं पुस्तक रूप में भी छप चुकी हैं। मुबीन साहब ने इनके अलावा बच्चों के लिए एक अन्य पुस्तक भी लिखी है, जंबो के कारनामे, जिसे आप यहां से पढ़ सकते हैं –

http://jumbohathi.ifastnet.com/

मुबीन साहब ने इन सब कहानियों को मेरे ब्लोग बाल जयहिंदी में प्रकाशित करने की अनुमति दे दी है, इसलिए वहां भी आप इन्हें अगले कुछ दिनों में पढ़ सकेंगे। उनके उपर्युक्त वेब साइटों में ये कहानियां हिंदी के अलावा नौ अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं।

श्री मुबीन ब्लोग जगत में भी काफी सक्रिय हैं और उनके कई ब्लोग हैं। इन सबकी विशेषता यह है कि इनके जरिए वे उर्दू साहित्य को देवनागरी लिपि में हिंदी पाठकों को उपलब्ध करा रहे हैं। अब तक मिर्जा गालिब और साहिर लुधियानवी से संबंधित उनके ब्लोगों में अच्छी सामग्री इकट्ठी हो गई है। फैस, मीर, इंशा, मंटो आदि अन्य उर्दू लेखकों की रचनाओं को भी देवनागरी लिपि में ब्लोग के माध्यम से उपलब्ध कराने का उनका विचार है।

मेरी दृष्टि में यह अत्यंत स्तुत्य प्रयास है। डा. रामविलास शर्मा ने अपनी पुस्तकों में कहा है कि यदि कोई हिंदी ठीक से लिखना सीखना चाहता है, तो उसे गालिब आदि उर्दू लेखकों की रचनाओं का अध्ययन करना चाहिए क्योंकि उनमें हमें मिलते हैं हिंदी के सबसे परिमार्जित और श्रेष्ठ नमूने। दुर्भाग्य से अधिकांश हिंदी भाषी अब उर्दू लिपि से दूर होते जा रहे हैं, और उनके लिए उर्दू लिपि में गालिब आदि रचनाकारों को पढ़ना संभव नहीं रह गया है। इसलिए मुबीन साहब का यह प्रयास बुहत ही उपयोगी है। अन्य लोगों को भी आगे आकर उर्दू के विपुल साहित्य को देवनागरी लिपि में प्रकाशित करने के अत्यंत महत्वपूर्ण और श्रमसाध्य कार्य को हाथ में लेना चाहिए। इसका काफी कुछ ब्लोगों के जरिए भी हो सकता है, जैसे मुबीन साहब कर रहे हैं।

श्री मुबीन उर्दू के पाठों को देवनागरी लिपि में परिवर्तित करने के लिए एक सोफ्टवेयर से काम लेते हैं। यह बहुत परिष्कृत परिणाम नहीं देता है, और उनके ब्लोग में वर्तनी आदि की बहुत सी त्रुटियां हैं, फिर भी शुरुआती प्रयास के रूप में वे महत्वपूर्ण हैं। यदि किसी के पास समय हो, तो वह उनके साथ सहयोग करके इन ब्लोगों को अधिक त्रुटिरहित बनाने में उनकी मदद कर सकता है।

इक्बाल और साहिर लुधियानवी के उनके ब्लोगों की कड़ियां ये हैं –

http://kalameghalib.blogspot.com/

http://sahirludhianvi01.blogspot.com/


श्री मुबीन भिवंडी के रहनेवाले हैं। वे उर्दू साहित्य के बारे में जानकारी देने वाले दो पोर्टेल, अदाब नामा और वर्लड ओफ उर्दू लिटरेचर के संपादक हैं।

श्री मुबीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी से राष्ट्रीय पुरस्कार स्वीकारते हुए।

वे उर्दू में कहानियां लिखते हैं और उनकी कहानियों के संकलन, यत्न का एक दिन, को 2000-2001 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। उनके दो अन्य कहानी संग्रह इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। इनके नाम हैं, टूटी छत का मकान, और, नई सदी का अजब। उनकी कहानियां उर्दू लिपि में यहां पढ़ी जा सकती हैं –

http://mmubin.ifastnet.com/

उन्हें हिंदी निदेशालय की ओर से गैर-हिंदी प्रदेशों के लेखकों का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। उन्हें मिले अन्य पुरस्कारों में शामिल हैं, महाराष्ट्र उर्दू अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार। लिखने के अलावा उनके शौकों में वेब डिजाइनिंग शामिल है।

मुबीन साहब का ब्लोगर प्रोफाइल उनकी बेटी ईफा के नाम से है। प्रोफाइल की कड़ी यह है -

http://www.blogger.com/profile/00779737290163317300

उनके बारे में अधिक विस्तृत जानकारी यहां पर उपलब्ध है –

http://www.mubinnama.150m.com/

2 Comments:

Unknown said...

bnahut umda jaankari dee hai aapne

waah
waah
baadhaai !

संजय बेंगाणी said...

कमाल के व्यक्ति है. अच्छा लगा जानकर. हमारी शुभकामनाएं.

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