Monday, July 06, 2009

सिगरेट छोड़ने का आसान तरीका - कार पद्धति


एलन कार (1934 – 2006) का जन्म लंदन में हुआ था। उन्होंने 18 साल की उम्र में सिगरेट पीना शुरू किया था। उन्होंने 1958 में सिगरेट पीना छोड़ा। छोड़ने से पहले उन पर यह लत इस कदर सवार हो गई थी कि वे रोज पांच पैकेट सिगरेट फूंक डालते थे।

सिगरेट छोड़ने में अपनी सफलता से प्रेरित होकर उन्होंने एक विधि विकसित की जिसे अपनाकर लाखों लोग इस घातक लत से अपना पीछा छुड़ा सके हैं। इस पद्धति को कार पद्धति या ईसीवे (आसान तरीका) कहा जाता है।

कार बताते हैं कि आम विश्वास के विपरीत सिगरेट पीने से एक मानसिक उछाल की स्थिति पैदा नहीं होती, बल्कि हर नया सिगरेट उससे पहले के सिगरेट के विथड्रोअल सिमटम को दूर भर करता है। पर नया सिगरेट भी खत्म होने से पहले ही अपना विथड्रोअल सिमटम शुरू कर देता है, और अगली सिगरेट की मांग पैदा कर देता है। इस तरह आदमी बहुत जल्द ही चेन-स्मोकर में बदल जाता है।

एलन कार (1934 – 2006)

कार समझाते हैं कि सिगरेट के लती लोगों को सिगरेट पीने पर जो आराम की अनुभूति महसूस होती है, उसे सिगरेट न पीनेवाले लोग हर समय महसूस करते हैं। इसलिए सिगरेट पीनेवाले लोग सिगरेट सुलगाकर चंद पलों के लिए केवल वह स्थिति पाने में ही सफल हो पाते हैं जो सिगरेट न पीने वाले लोग हर पल अनुभव करते हैं। कार समझाते हैं, यह उसी तरह है जैसे आप अपने सिर को दीवार पर बार बार इसलिए पटकें ताकि जब नहीं पटक रहे हों, तब महसूस होनेवाली राहत का मजा ले सकें। इससे कहीं बेहतर है कि सिर को दीवार पर पटका ही न जाए।

कार पद्धति का दूसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि विथड्रोअल सिमटम का मूल कारण सिगरेट के लती के मन में विद्यमान डर और संशय होता है कि वह सिगरेट के बिना नहीं रह सकता। यदि इस डर और संशय को दूर किया जा सके, तो सिगरेट छोड़ना उतना कष्टदायक नहीं होता है।

कार पद्धति का तीसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि सिगरेट छोड़ने के लिए इच्छा शक्ति बिलकुल आवश्यक नहीं है। कारण यह कि जब कोई व्यक्ति कोई काम नहीं करना चाहे, तो उसे वह काम करने से रोकने के लिए इच्छा शक्ति दरकार नहीं होती। जब सिगरेट का लती अपने मन के डर और संशय से उभर जाता है, तो उसमें ऐसी ही मनःस्थिति बनती है, अर्थात वह स्वयं ही सिगरेट नहीं पीना चाहता।

इसके साथ ही जब सिगरेट के लती को यह समझ में आ जाए कि उसके शरीर से निकोटीन के विथोड्रोअल के कारण होनेवाला कष्ट इतना मामूली होता है कि उसे नजरंदाज किया जा सकता है, तो उसके लिए सिगरेट छोड़ना बिलकुल आसान हो जाता है।

इसके विपरीत जो केवल दृढ़ इच्छा शक्ति से काम लेकर सिगरेट छोड़ने की कोशिश करते हैं और अपने मन में विद्यमान डर और संशय को दूर करने की ओर ध्यान नहीं देते, उनमें इस डर और संशय के कारण जल्द ही विथड्रोअल के शारीरिक लक्षण प्रकट होने लगते हैं, जैसे पसीने से हथेलियां भीगना, घबराहट, झुंझलाहट, चेहरा लाल होना, इत्यादि। बहुत से सिगरेट के लती मान बैठते हैं कि ये सब लक्षण शरीर द्वारा निकोटिन की मांग करने के कारण हो रहे हैं, न कि उनकी मानसिक स्थिति के कारण, और तुरंत अगला सिगरेट सुलगा लेते हैं। इस तरह वे कभी भी सिगरेट छोड़ नहीं पाते।

कार का कहना है कि “छोड़ने” के इस डर के कारण ही अधिकांश सिगरेट के लती सिगरेट पीना जारी रखते हैं, यद्यपि सिगरेट पीने के कारण स्वास्थ्य को होनेवाले स्पष्ट नुकसानों के अकाट्य प्रमाण उपलब्ध हैं।

कार अपनी पद्धति में शब्दों के प्रयोग को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। वे कभी भी सिगरेट "छोड़ने" की बात नहीं करते क्योंकि इस शब्द में किसी प्रिय या आवश्यक वस्तु से अलग होने का अर्थ छलकता है, जबकि सिगरेट ऐसी कोई लाभदायक चीज नहीं है। इसके बजाए, वे सिगरट पीना "रोकना", या इस लत से “मुक्ति पाना” या “पिंड छुड़ाना” आदि शब्दों को पसंद करते हैं। उनकी पद्धति में इस तरह की सूक्ष्म मनोविश्लेषण से जुड़ी अनेक बातें शामिल हैं।

सिगरेट छुड़वाने की कार पद्धति इतनी कारगर साबित हुई कि 1983 में कार ने अपनी नौकरी छोड़कर पहला कार दवाखाना स्थापित किया, जिसका नाम उन्होंने ईसीवे (आसान तरीका) रखा। 1985 में उन्होंने द ईसी वे टु क्विट स्मोकिंग (सिगरेट छोड़ने का आसान तरीका) नामक किताब लिखी जो तुरंत ही दुनिया भर में खूब लोकप्रिय हुई। आज भी यह सिगरेट छुड़ाने में मदद करनेवाली किताबों में सबसे ज्यादा बिकती है।

कार का प्रथम ईसीवे दवाखाना इतना लोकप्रिय हुआ कि जल्द ही 41 देशों में ऐसे 150 से भी ज्यादा दवाखाने खुल गए। कार पद्धति से सिगरेट से छुटकारा पानेवाले लोगों में बड़ी-बड़ी हस्तियां शामलि हैं, जैसे पोप गायिका ब्रिटनी स्पियर। यह पद्धति 90 प्रतिशत मामलों में सफल होती है।

कार पद्धति अपनानेवाले ईसीवे दवाखानों का संचालन ऐसे लोग करते हैं जो स्वयं पहले सिगरेट पीते थे और जिन्होंने इस पद्धति की मदद से इस लत से मुक्ति पाई थी।

कार ने वजन घटाने और शराब छोड़ने के बारे में भी उपयोगी पुस्तकें लिखी हैं। जब 71 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हुआ, तो इन सबकी बिक्री से उन्हें जो आमदनी हुई थी वह 12 करोड़ पाउंड जितनी थी।

भारत में भी एलन कार के ईसीवे दवाखाने हैं। उनकी जानकारी एलन कार के जाल स्थल से मिल सकती है। यहां क्लिक करें –
http://easywaytostopsmoking.co.in/

9 Comments:

संदीप said...

अरे वाह बालसुब्रमण्‍यम जी, यह तो आपने काम की जानकारी दी

Rajeysha said...

बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है आपने भगवान आपका भी भला करे और सिगरेट जैसी ही बुरी सभी की सभी आदतें छुड़ा दे।

admin said...

अरे वाह, इससे कुछ लोगों को तो फायदा होगा ही।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

डॉ .अनुराग said...

अच्छा है आप ब्लॉग से कई महत्वपूर्ण जानकारिया बाँट रहे है..वैसे सब कुछ इच्छा शक्ति का खेल है ..इसके अलावा चुविंग गम का प्रयोग ओर निकोटिन पेच दूसरे तरीके है जो भारत में उपलब्ध है

P.N. Subramanian said...

उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक. आभार.

Gyan Dutt Pandey said...

रोचक। दृढ़ इच्छाशक्ति का शॉर्टकट तकनीक में सम्भव है - यह जाना।
बाकी; इस पद्यति की उपयोगिता जानने को तो सिगरेट पीना सीखना होगा! :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

अच्छा आलेख! सीखने को मिला कि अज्ञान दूर हो तो किसी मुसीबत पर काबू पाया जा सकता है।

Udan Tashtari said...

रोचक है. हमें छोड़े तो पाँच साल बीते.

Unknown said...

waah waah
upyogi baat !

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