Tuesday, April 28, 2009

नालायक नेता

चुनावी सभा चल रही थी। लाख, दो लाख लोगों की भीड़ जुटी थी। नेताजी अच्छे वक्ता थे। उनके हर दूसरे-तीसरे वाक्य पर खूब तालियां पिटीं। पार्टी सदस्य बेहद खुश थे, नेता का जादू चल गया था।

पर नेता स्वयं खिन्न थे। हेलिकोप्टर में बैठते हुए सचिवों से बोले, “क्या मैं इस लायक भी नहीं था? एक जूता भी तो नहीं फेंका गया मुझ पर!”

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