tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post9214478848157516731..comments2024-02-20T15:42:24.227+05:30Comments on जयहिंदी: अंग्रेजी अखबार ने की छापे की महा भूलबालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttp://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-20191483861704287752009-07-22T01:20:50.253+05:302009-07-22T01:20:50.253+05:30अच्छी खबर दी है |अच्छी खबर दी है |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-69858674030928180702009-06-17T11:25:07.345+05:302009-06-17T11:25:07.345+05:30i stopped calling it a news paper ten years ago ! ...i stopped calling it a news paper ten years ago ! itz a mere piece of toilet paper ,but i never wrote agaist it 'cos it is the most loved by readers after all. itz Delhi edition has surpassed all records of obscenity . u will be shocked if u read how brazenly this paper advocates drinking and pre marital sex.मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-53586215242588600412009-06-17T06:21:24.330+05:302009-06-17T06:21:24.330+05:30ऐसा भी होता है.
बहुत पैनी नजर रखते हैं आप चारों द...ऐसा भी होता है.<br /><br />बहुत पैनी नजर रखते हैं आप चारों दिशाओं में.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-74726918063311547432009-06-16T23:59:30.117+05:302009-06-16T23:59:30.117+05:30arey bhai sampadak mahoday Chhutti par gaye honge....arey bhai sampadak mahoday Chhutti par gaye honge. Waise bhi oon logo ko malum hai ki Sampadkiye eetni ghatiya hoti hai ki shayad hi koi padhta hoga. Ab ho sakta hai aapko wo log prize waigarah bhi de dhundh kar ki koi to hai jo ToI ka sampadkiye padhta hai.<br /><br />Lekin aapni sahi pakdi hai.उपाध्यायजी(Upadhyayjee)https://www.blogger.com/profile/18237857671780290231noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-77576924616486268242009-06-16T18:43:39.300+05:302009-06-16T18:43:39.300+05:30मज़ेदार!
हमने pdf फाईल तो रख ली दोनो पृष्ठों कीमज़ेदार!<br /><br />हमने pdf फाईल तो रख ली दोनो पृष्ठों कीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-70926216693917510002009-06-16T18:28:47.395+05:302009-06-16T18:28:47.395+05:30पहले तो कार्टून ही दोबारा तिबारा लगा देते थे। वर्त...पहले तो कार्टून ही दोबारा तिबारा लगा देते थे। वर्तनी की गलतियों को तो देखना ही छोड़ दिया है।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-46751443426927427042009-06-16T18:20:44.802+05:302009-06-16T18:20:44.802+05:30समाचार तो अक्सर रिपीट हो जाते है मगर पूरा का पूरा ...समाचार तो अक्सर रिपीट हो जाते है मगर पूरा का पूरा पेज रिपीट होना…………। निपट गया होगा कोई बकरा अब तक़्।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-64625035779448513892009-06-16T17:49:32.972+05:302009-06-16T17:49:32.972+05:30khoob bataya
achha time pass hoga logon kakhoob bataya <br />achha time pass hoga logon kaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-43285070217831716722009-06-16T17:40:13.858+05:302009-06-16T17:40:13.858+05:30माफ करने वाली भूल नहीं है यह। पर क्या करें अखबारों...माफ करने वाली भूल नहीं है यह। पर क्या करें अखबारों में काम करने वाले भी तो इंसान होते हैं। कई बड़े अखबारों में कई बार इस तरह की भूल हो जाती है। यह निश्चित मानकर चलिए कि जिसने भी यह भूल की होगी उसकी तो जरूर अखबार से छूटी हो गई होगी। हमें आज भी याद है हम एक अखबार में काम करते थे, तो हम वहां पर अपने खेल का पेज लगाकर रात को 12 बजे आ गए थे। हमारे इसी पेज में प्रथम पेज की शेष खबरें जाती थीं। पहले संस्करण में सब कुछ ठीक-ठाक था, लेकिन दूसरे संस्करण में जब पहले पेज की शेष खबरें लगवाई गईं तो पहले पेज के संपादक ने ध्यान नहीं दिया और आपरेटर ने एक माह पुराने पेज में खबरें लगा दी और वह पेज छप गया। दूसरे दिन अखबार देखकर सबसे पहले संपादक को फोन हमने किया। पहले पेज के संपादक ने सारा दोषा हम पर डालने का पूरा प्रयास किया, हमने संपादक के सामने पहला संस्करण रख दिया और कहा कि अगर पहले संस्करण में यह गलती होती तो दोषी हम होते। जब दूसरे और अंतिम संस्करण में हमारे पेज पर काम करवाने वाले पहले पेज के संपादक महोदय हैं तो फिर हम कहां दोषी हैं। अगर हमसे ऐसी भूल हुई होती तो हम खुद नौकरी छोड़ कर चले गए होते। उन पहले पेज के संपादक महोदय को काफी माफी के बाद रखा गया और पेज को लगाने वाले आपरेटर को निकालने की बात की गई तो हमने कहा कि जब सबसे बड़ी गलती करने वाले संपादक को नहीं निकाला जा रहा है तो बेचारे कम पढ़े-लिखे आपरेटर का क्या दोष? पेज चेक करने का काम संपादक का होता है न कि आपरेटर का। तो जनाब ऐसी गलतियां हो जाती हैं लेकिन ऐसी गलती करने वाले को खुद अपनी जिम्मेदारी लेते हुए अपनी नौकरी को नमस्ते कर देना चाहिए। अगर वास्तव में उस गलती को करने वाले इंसान में पत्रकारिता की थोड़ी भी समझ होगी तो वे ऐसा ही करेंगे। बाकी अखबार गलती के लिए खेद प्रगट के अलावा और क्या कर सकता है। जब तीर कमान से निकल जाए तो फिर उससे कौन मरता है या घायल होता है क्या फर्क पड़ता है। अखबार तो छप गया है अब इसका क्या किया जा सकता है।राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-90379319016795018002009-06-16T17:13:54.308+05:302009-06-16T17:13:54.308+05:30यह तो भयानाक गलती है. हिंदी की हंसी उड़वाने के लि...यह तो भयानाक गलती है. हिंदी की हंसी उड़वाने के लिए कुछ हद तक हिंदी भाषी भी जिम्मेदार है.हममे हिंदी के प्रति हीन भावना है अंग्रेजी बोलने वाले को पढ़ा लिखा समझा जाता है और हिंदी वाले को अनपढ़ जब तक यह मानसिकता रहेगी ..वे लोग हमारी हंसी उडायेंगे ही.बात वही है अगर हम खुद को सम्मान नही देंगे कोई हमे क्यों सम्मान देगा ?<br /><br />कल का इन्तिज़ार है.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-63562149523262851982009-06-16T16:28:21.255+05:302009-06-16T16:28:21.255+05:30द्विवेदी जी और हिमांशू जी: दोनों दिनों के अखबार का...द्विवेदी जी और हिमांशू जी: दोनों दिनों के अखबार का सुबह का संस्करण है, वह संस्करण जो अखबारवाला सुबह सबके घर डाल जाता है।<br /><br />मैंने दोनों अंकों के मास्टहेड में देखा, दोनों में कोई अंतर नहीं मालूम पड़ा। उनमें यही लिखा है कि वे अहमदाबाद संस्करण हैं। डाक या सिटी संस्करण का सूचक कोई शब्द मुझे वहां नहीं दिखा।<br /><br />इसलिए ऐसा ही लगता है कि उनसे कोई भूल हुई है।<br /><br />कल यदि वे कोई भूल-सुधार संदेश छापते हैं, तो इसका पक्का प्रमाण मिलेगा।<br /><br />यदि वे छापें, तो मैं उसका कटिंग जयहिंदी में जरूर दूंगा।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-5100499855245784302009-06-16T16:16:02.058+05:302009-06-16T16:16:02.058+05:30अगर सच में कोई भूल हुई है, तो बहुत बड़ी है । कहीं द...अगर सच में कोई भूल हुई है, तो बहुत बड़ी है । कहीं दिनेश जी की बात तो सच नहीं । <br />बेहतरीन सूचना ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-3348028085768968242009-06-16T15:54:41.064+05:302009-06-16T15:54:41.064+05:30आप की पोस्ट में 15 तारीख का अखबार तो दिख रहा है। ल...आप की पोस्ट में 15 तारीख का अखबार तो दिख रहा है। लेकिन 16 तारीख का नहीं। फिर क्या दोंनों एक ही संस्करण हैं? यह पता नहीं। हो सकता है 15 तारीख वाला सिटी एडीशन हो और 16 तारीख वाला डाक एडीशन। ऐसी अवस्था में संपादकीय पृष्ठ एक ही होगा। क्यों कि कोटा में दिल्ली का अखबार जो सुबह पहुँचता है और मुम्बई का जो शाम को पहुँचता है वह एक दिन पहले के सिटी एडीशन के संपादकीय लिए होते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-75952756194613330172009-06-16T14:36:32.967+05:302009-06-16T14:36:32.967+05:30समय पर तनखा नहीं दोगे तो यही छापेगें.. मजेदारसमय पर तनखा नहीं दोगे तो यही छापेगें.. मजेदाररंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-51800172463427451092009-06-16T14:19:17.518+05:302009-06-16T14:19:17.518+05:30इस शोध के लिए धन्यवाद। भला ऐसे नायाब उदाहरण कहॉ मि...इस शोध के लिए धन्यवाद। भला ऐसे नायाब उदाहरण कहॉ मिलेंगे, संग्रहणीय है।धीरेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/12020246777509347843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-77788543054100127942009-06-16T14:16:49.819+05:302009-06-16T14:16:49.819+05:30ओह! मैं देख ही न पाया कि दोनों एक ही शहर के अलग-अल...ओह! मैं देख ही न पाया कि दोनों एक ही शहर के अलग-अलग दिनों के समाचार पत्र हैं! वास्तव में बड़ी भूल है! आप सही थे!निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-39682930491738966782009-06-16T14:14:34.366+05:302009-06-16T14:14:34.366+05:30सुब्रमण्यम जी, ऐसा अधिकांश अख़बारों द्वारा उन पृष्...सुब्रमण्यम जी, ऐसा अधिकांश अख़बारों द्वारा उन पृष्ठों के साथ किया जाता है जिनमें तात्कालिक महत्त्व की खबरें नहीं छपतीं. सम्पादकीय पृष्ठों पर सामान्यतः विविध लेख, पात्र, और ऐसी चीज़ें छापी जाती हैं जो वास्तव में समाचार नहीं होता. यह कोई बड़ी भूल नहीं है. मैंने अखबार में कुछ समय काम किया है, अलग-अलग संस्करणों में ऐसा करना आम है.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-7426102425123981962009-06-16T14:10:54.547+05:302009-06-16T14:10:54.547+05:30गयी किसी बेचारे की नौकरी...गयी किसी बेचारे की नौकरी...Vhttps://www.blogger.com/profile/06891671664869928359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-4060404446720896902009-06-16T14:09:00.196+05:302009-06-16T14:09:00.196+05:30भारत में अंग्रेजी के अखबार तरह-तरह की बैशाखियों के...भारत में अंग्रेजी के अखबार तरह-तरह की बैशाखियों के सहारे चल रहे हैं। सरकारी विज्ञापनों की बैसाखी, देश भर के पुस्तकालयोंकी बैसाखी, कुछ अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की बैसाखी, एयरलाइनों की बैसाखी, कुछ आत्मविश्वासहीन भारतीय छात्रों की बैसाखी जो इसे अंग्रेजी सीखने के लिये इस्तेमाल करते हैं आदि।<br /><br />इन सबके बावजूद भी भारत के दस प्रमुख अखबारों में इनकी गिनती नहीं हैं! ये बड़े महान हैं।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-6454691199048502512009-06-16T14:04:01.916+05:302009-06-16T14:04:01.916+05:30वाह गुरु.... साबित कर दी समझदारी....।
भगवान अखबार...वाह गुरु.... साबित कर दी समझदारी....। <br />भगवान अखबार वालों को अक्ल दे। <br />- गंगू तेलीGangu Telihttps://www.blogger.com/profile/11296662119311457590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-83404299388933395642009-06-16T13:53:18.185+05:302009-06-16T13:53:18.185+05:30मसालेदार, मजेदार.
यह तो संग्रह की चीज हो गई. धन्...मसालेदार, मजेदार. <br /><br />यह तो संग्रह की चीज हो गई. धन्यवाद बताने के लिए.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.com