tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post6741308049794105271..comments2024-02-20T15:42:24.227+05:30Comments on जयहिंदी: राहुल सांकृत्यायन चर्चा : सहमतिबालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttp://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-48913181136764041712009-10-25T14:01:37.673+05:302009-10-25T14:01:37.673+05:30डॉ. रामविलास शर्मा अगर थोडे दिन और इस दुनिया में र...डॉ. रामविलास शर्मा अगर थोडे दिन और इस दुनिया में रह गए होते और थोड़ा घूम भी लिए होते तो राहुल जी के बारे में उनके बचे-खुचे पूर्वाग्रह भी ख़त्म हो गए होते. रामविलास जी की दिक्कत यही थी कि बेचारे रोजी-रोटी के लिए मास्टरी करने लगे, जो बहुत समझदार लोगों की भी बुद्धि खा लेती है.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-86528371638739599652009-07-15T22:01:21.026+05:302009-07-15T22:01:21.026+05:30द्विवेदी जी : आपको यह पुस्तक जरूर अच्छी लगेगी। इसे...द्विवेदी जी : आपको यह पुस्तक जरूर अच्छी लगेगी। इसे पढ़कर आपमें डा. शर्मा की अन्य पुस्तकें भी पढ़ने की इच्छा जागेगी। एक किताब मैं सुझाना चाहूंगा, वह है, गांधी, अंबेडकर, लोहिया और भारतीय इतिहास की समस्याएं, जिसमें डा. शर्मा ने इन तीनों महापुरुषों का मूल्यांकन किया है। यह शायद डा. शर्मा की अंतिम पुस्तक है।<br /><br />अरविंद जी : इस प्रश्न का जवाब आपको स्वयं ही इतिहास दर्शन पढ़ने के बाद देना होगा।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-83658127379782193402009-07-15T18:48:17.238+05:302009-07-15T18:48:17.238+05:30राहुल और राम विलास जी दोनों धुर विद्वान् रहे -मगर ...राहुल और राम विलास जी दोनों धुर विद्वान् रहे -मगर क्या राहुल के विचारों का खंडन खुद एक पूर्वाग्रह की परिणति नहीं हो सकती ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-22114720453813172092009-07-15T17:55:33.432+05:302009-07-15T17:55:33.432+05:30शीघ्र ही यह पुस्तक पढ़नी पड़ेगी। क्यों कि यह कुछ ह...शीघ्र ही यह पुस्तक पढ़नी पड़ेगी। क्यों कि यह कुछ हद तक मेरी अपनी मान्यताओं से भिन्न है। हो सकता है। उन्हें पढ़ने के उपरांत मैं अपनी कुछ धारणाओं को यदि वे गलत हैं तो सही कर सकूँ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com