tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post8922221438692913233..comments2024-02-20T15:42:24.227+05:30Comments on जयहिंदी: इस्लाम ने यूरोप को कैसे बचायाबालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttp://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-56523758389275100812009-04-04T10:40:00.000+05:302009-04-04T10:40:00.000+05:30हिन्दी के लेखकों और पाठकों की कमी के कारण ही आपसी...हिन्दी के लेखकों और पाठकों की कमी के कारण ही आपसी संबंध सा बन गया है लोगों के मध्य ... इस कारण अभी तक 'ज्वलंत' बहस खुलकर सामने नहीं आ रहा ... लेकिन आगे अवश्य होगा ... हिन्दीभाषियों में प्रतिभा की कमी नहीं।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-88108016995252256542009-04-03T23:41:00.000+05:302009-04-03T23:41:00.000+05:30लिंक पर चटका लगाकर पढ़ा - काफी लंबी और उत्तेजित बह...लिंक पर चटका लगाकर पढ़ा - काफी लंबी और उत्तेजित बहस थी। हिंदी में अभी ऐसी "ज्वलंत" बहस खुलकर नहीं हो रही है, क्योंकि<BR/><BR/>१) हिंदी चिट्ठाकारी अभी अपने बचपन के दिनों में खेल रही है। लेखनशैली और टिप्पणीशैली धीरे-धीरे विकसित हो रही है।<BR/><BR/>२) चूंकि हिंदी चिट्ठाकार बहुत कम हैं, तकरीबन सभी एक-दूसरे को जानते हैं। इसलिये कुछ लिखने पर व्यक्तिगत बवाल भी खड़े हो जाते हैं जिनके उदाहरण आप पहले ही देख चुके होंगे।<BR/><BR/>३) अंग्रेजी पढ़ने-लिखने वालों की संख्या बहुत अधिक है। इसलिये अंग्रेजी के प्रसिद्ध चिट्ठों पर बहुतायत लोग आते-जाते-टिपियाते रहते हैं। यदि हिंदी में लिखने वालों की संख्या १०० बढ़कर १०० करोड़ हो जाये तो आप समझ ही सकते हैं कि चिट्ठे कितनी बार पढ़े और टिपियाये जायेंगे।<BR/><BR/>४) कंप्यूटर पर हिंदी में लिखना अभी इतना प्रचलित ही नहीं हुआ है। किसी को हिंदी में ईमेल भेजो तो जवाब आता है "How did you write in Hindi?" हिंदी टाइपिंग को सरल बनाने के लिये दिन-ब-दिन नये-नये उपकरण बन रहे हैं, लेकिन "पर्फेक्ट" उपकरण अभी भी नहीं बन पाया है। तकनीकी दृष्टिकोण से अभी थोड़ा समय और लगेगा<BR/><BR/>५) कुछ विषय बहस का कारण बनने में अग्रणी रहते हैं। जैसे की नारीत्व, धर्म, इत्यादि। पश्चिम अपने आपको हमेशा से सेकुलर मानता रहा है, लेकिन इस्लाम आजकल वहाँ एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है। ऐसे प्रचलित मुद्दे पर लंबी बहस होनी ही होनी है।<BR/><BR/>मेरा विचार:<BR/>हमें चाहिये कि बहस करें, लेकिन बेकार के मुद्दों पर नहीं। भारत के असली मुद्दे हैं गरीबी और भ्रष्टाचार - बाकी सब मुद्दे जनता के वोट मांगने के लिये रचे गये हैं।Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.com