tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post5879710358269593341..comments2024-02-20T15:42:24.227+05:30Comments on जयहिंदी: चीफ सिएटल का उत्तरबालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttp://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-62550058614415393032009-05-22T23:47:55.102+05:302009-05-22T23:47:55.102+05:30प्राचीन वैदिक ऋषियों की एक जैसी संवेदनाओं को देखकर...प्राचीन वैदिक ऋषियों की एक जैसी संवेदनाओं को देखकर रोमाँचित हो गया हूँ। रोमाँज़ के भारतीय समबन्धों का इतिहास जैसे जीवंत हो सम्मुख खड़ा हो गया। संवेदनाओं के निर्झर को यह द्स्यु पणि-वंशज न पहले समझ पाये, न अब। आसुरी संस्कृति के इन ध्वज वाहकों की लोभ वृत्तियों से संस्कार विहीन हो रही भारतीय मनीषा पता नहीं कब स्वरूप दर्शन कर पायेगी? सुंदर इतिवृत्त प्रस्तुति हेतु साधुवाद।सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’https://www.blogger.com/profile/14324507646856271888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-30908032581438120232009-05-22T22:56:13.236+05:302009-05-22T22:56:13.236+05:30जो जमीन के साथ घटित होता है, वही उसके पुत्रों के स...<B>जो जमीन के साथ घटित होता है, वही उसके पुत्रों के साथ भी होता है। यदि मनुष्य जमीन पर थूकता है तो वह स्वयं अपने ऊपर थूकता है।<br /></B>-----------<br />अप्रतिम। अद्भुत! <br />कोई धरती से जुड़ा व्यक्ति ही कह सकता है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-63281252661140432622009-05-22T19:52:17.407+05:302009-05-22T19:52:17.407+05:30सच मानें, लगा कि एक दूसरे देश के ऋषि की वाणी सुन र...सच मानें, लगा कि एक दूसरे देश के ऋषि की वाणी सुन रहा हूँ. <br /><br />अथर्ववेद का पृथ्वी सूक्त याद आ गया. मानव की विधेयी चेतना मौलिक रूप में कितनी सार्वकालिक है !<br />अति सुन्दरगिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com