tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post5537782367436182141..comments2024-02-20T15:42:24.227+05:30Comments on जयहिंदी: क्या बोनसाई रखना भारतीय दृष्टि में उचित है?बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttp://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-74481339972982624392009-09-17T14:42:01.678+05:302009-09-17T14:42:01.678+05:30bonsai plant ko kitne time peariod me cutting karn...bonsai plant ko kitne time peariod me cutting karna chahiyeAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-58139910995011225932009-07-22T01:45:06.544+05:302009-07-22T01:45:06.544+05:30गिरिजेश राव जी से १०० % सहमत हूँ
वीनस केसरीगिरिजेश राव जी से १०० % सहमत हूँ <br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-19866799115896395772009-07-21T22:28:34.007+05:302009-07-21T22:28:34.007+05:30हमारे सामने के फ्लैट में पूजा के लिए एक बडे गमले म...हमारे सामने के फ्लैट में पूजा के लिए एक बडे गमले में केले का पेड लगाया जाता है .. उस पेड के विकास को बाधित देखकर मैं अक्सर इसी तरह के सोंच में पड जाती हूं .. पर अभी तक समझ में नहीं आया कि यह गलत है या सही।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-14200230168035638402009-07-21T22:07:02.019+05:302009-07-21T22:07:02.019+05:30बहुत सही विषय उठाया है आपने | यदि आपके पास जगह की ...बहुत सही विषय उठाया है आपने | यदि आपके पास जगह की कमी हो और पेड़ पोधे से प्रेम हो तो अन्य पोधे भी लगा सकते है | ऐसा नहीं होना चाहिए की बोनसाई को पड़े-छोटे पेड़-पोधे का विकल्प मान लिया जाए | यदि प्रयाप्त स्थान उपलब्ध हो तो क्या बड़ा पीपल का पेड़ बोनसाई के अपेक्षा ज्यादा आनंददायक नहीं होगा ?Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-6459818865412167522009-07-21T16:03:45.910+05:302009-07-21T16:03:45.910+05:30बोनसाई, जैसा की आपके पिछले लेख में बताया जापानी कल...बोनसाई, जैसा की आपके पिछले लेख में बताया जापानी कला है और अब इसका विकास अन्य जगहों पर भी तेजी से हो रहा है, जापान में आबादी बहुत अधिक है और जगह कम इसलिए लोगों ने खुद को प्रकृति से जोड़े रहने की यह तरकीब निकाली जो तारीफ के काबिल है, मुझे नहीं लगता है इस प्रक्रिया से पेड़-पौधों को हम कष्ट दे रहे हैं, बल्कि मैं अपने बोनसाई से बहुत ही करीब हो गयी थी, हर वक्त उसका ध्यान रखती थी, और जहाँ तक यह सोचना की पेड़-पौधों में भी जान है इसलिए उसे कष्ट नहीं देना चाहिए तो अगर 'घोड़ा घास से दोस्ती करे तो खायेगा क्या'?........स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-18384218043223351372009-07-21T14:46:23.080+05:302009-07-21T14:46:23.080+05:30इतनी अच्छी पोस्ट पर इतना सन्नाटा क्यों है भाई?इतनी अच्छी पोस्ट पर इतना सन्नाटा क्यों है भाई?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-26897040555631756182009-07-21T14:20:20.419+05:302009-07-21T14:20:20.419+05:30मछली, मुर्गा, बकरा खाने वाले हम पौधों के मामले में...मछली, मुर्गा, बकरा खाने वाले हम पौधों के मामले में झूठे ही 'सेंटी' हो जाते हैं ! <br /><br />असल में सब माया है। कभी एक पुस्तक पढ़ी थी Maya in Physics' समय मिले तो अवश्य पढ़िए। <br />कई नए पक्ष आप ने रखे और शिक्षित किए। धन्यवाद। ऐसी पिटाई भी बड़े भाग्य से मिलती है।<br /><br />लेकिन हम रहेंगें 'बेवकूफ सेंटी' ही! हम नहीं सुधरेंगे।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com