tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post153195919027909411..comments2024-02-20T15:42:24.227+05:30Comments on जयहिंदी: क्या आरक्षण हटाना चुनावी मुद्दा बन सकता है?बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttp://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-4183319810936835462009-05-08T21:28:00.000+05:302009-05-08T21:28:00.000+05:30बेनामी जी,
सामाजिक ढांचा तेजी से बदल रहा हूं। मेरे...बेनामी जी,<br />सामाजिक ढांचा तेजी से बदल रहा हूं। मेरे एक ब्राह्मण मित्र ने अपनी पुत्री की शादी एक दलित से की है जो आईएएस है। लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि सभी ठाकुरों ने अपनी ठकुराई छोड़ दी है। या ब्राह्मण शूद्रों से सहज ही रोटी-बेटी का रिश्ता कायम कर रहे हैं लेकिन पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस बदलाव को देखा जा सकता है। अब वर्ग विभाजन जाति-धर्म की जगह शिक्षा और आर्थिक स्थिति के आधार पर होने लगा है। ये प्रक्रिया धीमी है लेकिन आने वाली पीढि़यों के काल में और तेज होगी।<br />ऐसा भी नहीं है कि भेदभाव मिट जाएगा लेकिन उसका पैमाना बदल जाएगा। चपरासी की नौकरी वाला शुद्र हो जाएगा, आईपीएस क्षत्रिय और आईएएस, प्रोफेसर और समकक्ष ब्राह्मण।<br />अब आरक्षण की बात तो सुनिए बंधुवर, आरक्षण का लाभ भी उन्हें मिल रहा है जो प्रभावशाली हैं। उपर उठ चुके हैं। वे पिछड़ों में अगड़े हैं।<br />आज जरूरत है समान शिक्षा की जिसमें राजा और रंक के साथ भेद न हो।हरि जोशीhttp://irdgird.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-70416460138498286232009-04-08T21:28:00.000+05:302009-04-08T21:28:00.000+05:30जिस दिन, ब्रह्मण और ठाकुर अपनी बेटियों के ब्याह शू...जिस दिन, ब्रह्मण और ठाकुर अपनी बेटियों के ब्याह शूद्रों से करने को राजी हो जाएँ तो उस दिन आरक्षण कि ज़रुरत नहीं रह जायेगी. पढ़े-लिखे लेकिन शूद्र IAS को तो अपनी बेटे ब्याहने की सोच नहीं सकते, सर्वशिक्षा का ढोंग भरते हैं? आरक्षण को आर्थिक मुद्दे की शक्ल देने कि कोशिश न करो बाबा, ये सामजिक मुद्दा है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33823237.post-25570254166483158372009-04-08T10:17:00.000+05:302009-04-08T10:17:00.000+05:30सर्वशिक्षा अभियान में तेजी की आज सर्वाधिक जरूरत है...सर्वशिक्षा अभियान में तेजी की आज सर्वाधिक जरूरत है ... वैसे जिस देश में कुपोषण से बच्चों की मौत हो रही हो ... वहां पढाई लिखाई की बात करना भी क्या उचित समझा जाए।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com